प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता और समस्त सुखों को प्रदान करने वाले भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित
भादौ मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को भगवान श्री गणेश के जन्म दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय अकबरपुर के अनेक मोहल्लों में उनके विग्रह स्थापित किए गए जिसके लिए विशाल पंडाल सजाये गये हैं।सनातन परंपरा के अनुसार भगवान गणेश प्रथम पूजनीय तो हैं ही विघ्नहर्ता और विनायक भी हैं।

- नगर में अनेक स्थानों पर गणपति बप्पा मौर्या की धुन पर नाचते गाते रहे भक्त
सुशील त्रिवेदी,कानपुर देहात : भादौ मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को भगवान श्री गणेश के जन्म दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय अकबरपुर के अनेक मोहल्लों में उनके विग्रह स्थापित किए गए जिसके लिए विशाल पंडाल सजाये गये हैं।सनातन परंपरा के अनुसार भगवान गणेश प्रथम पूजनीय तो हैं ही विघ्नहर्ता और विनायक भी हैं। मान्यता है कि उनकी कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है इतना ही नहीं इससे सामाजिक एकजुटता,और स्वतंत्रता की भावना के सन्देश का संचार भी होता है।पता चला है कि नगर के हृदय अयोध्या पुरी में 13 वा’ स्थापना दिवस मनाया जा रहा है जिसके लिए एतिहासिक रामलीला मंच पर विघ्नहर्ता की विशाल मूर्ति स्थापित कर मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान से पूजन किया गया तथा आरती उतारी गई और उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।
इस सम्बन्ध में समिति के अध्यक्ष ऋषि पुरवार ने बताया कि स्थापना से लेकर विसर्जन तक प्रतिदिन निश्चित समय पर सुबह और शाम की आरती का आयोजन किया गया है साथ ही 27 अगस्त व 5 सितंबर को महिलाओं एवं बच्चों की रंगारंग कार्यक्रम तथा प्रतियोगिताएं रखी गई है। नगर पंचायत में अन्य स्थानों संजय नगर कालीगंज हरी गंज बाजार, कानपुर रोड,सिकंदरा रोड आदि में भी आयोजन के लिए उत्साह देखा जा रहा है। इसी प्रकार गांधी नगर वार्ड स्थित माँ कालका देवी मंदिर परिसर में भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा प्रतिष्ठित कर पूजन अर्चन किया गया जहाँ उपस्थित भक्तों ने गणपति बप्पा मौर्या के जयकारे लगाए तथा डीजे की धुन पर नाचते गाते रहे।
वहीं जनकपुरी मैदान के निकट स्थित एक देवालय परिसर में भी भगवान गणेश की विशाल मूर्ति स्थापित की गई तथा पूजा अर्चना के बाद प्रसाद वितरण किया गया। उल्लेखनीय है कि गणेश चतुर्थी को प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का दक्षिण भारत में अतिथि के रूप में आगमन माना जाता है, तत्पश्चात् वह दक्षिण भारत में १० दिन तक अतिथि के रूप में वहां रहते हैं और फिर विसर्जन के बाद वह पुनः अपने दिव्य धाम वापस पहुंच जाते हैं।
शिवपुराण के अनुसार विंध्य पर्वत के दक्षिणी क्षेत्र के साथ जुड़ा एक पारंपरिक त्यौहार है, जिसे कार्तिकेय को दिया गया था और गणेश जी को वहां मेहमान के रूप में देखा जाता है मान्यता यह है कि विंध्य पर्वत के दक्षिणी भाग में स्थित क्षेत्र श्री गणेश जी के बड़े भाई कार्तिकेय जी का क्षेत्र है जिसे उन्हें दिया गया था और गणेश जी वहां दस दिन मेहमान के रूप में जाते हैं।
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