प्रदूषण में दूसरे पायदान पर आया कानपुर, जानें Top 5 शहरों का जाने हाल
इस महीने लगातार दो बार देश में सर्वाधिक प्रदूषित शहर की श्रेणी में आने से बढ़ा खतरा। गंभीर स्थिति में पहुंचा एक्यूआइ पीएम-2.5 की मात्रा 404 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब दर्ज की गई। ऐसी आबोहवा के बीच सुबह व शाम के वक्त की सैर बंद कर देनी चाहिए।
विशेषज्ञों की मानें तो
डीबीएस डिग्री कॉलेज के भूगोल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉ. दुर्गेश चौहान बताते हैं, सुबह के वक्त हानिकारक गैसें नीचे आ जाती हैं। ऐसे में खासकर बुजुर्गों के लिए खतरा बढ़ गया है। शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त न होना इसका सबसे बड़ा कारण है। दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। पेट्रोल और डीजल की खपत अधिक होने के कारण वह जलते रहते हैं। उससे निकलने वाली हानिकारक गैसेें तापमान गिरने के साथ एक्टिव हो जाती हैं। ऐसी आबोहवा के बीच सुबह व शाम के वक्त की सैर बंद कर देनी चाहिए।
इनका ये है कहना
शहर में वाहनों की संख्या अधिक होने व निर्माण कार्य के चलते प्रदूषण बढ़ रहा है। धूल मिट्टी उडऩे से रोकने के लिए पानी का छिड़काव जरूर किया जा रहा है, लेकिन यह नाकाफी है। तापमान गिरने प्रदूषण निचली सतह पर आ जाता है जिससे खतरा बढ़ रहा है। – डॉ. मीतकमल द्विवेदी, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज
देश में एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति
गाजियाबाद – 415
कानपुर – 404
ग्रेटर नोएडा – 404
बुलंदशहर – 402
बागपत – 402
(सभी आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब में)
प्रदूषण का कारण और असर
-जगह जगह निर्माण कार्य के चलते धूल और गर्द उड़ रही
-जाम के कारण वाहन रेंग रेंगकर चल रहे, डीजल व पेट्रोल अधिक जलकर वातावरण में जहर घोल रहे
-कोहरा गिरने से प्रदूषण और घातक स्थिति में
-कोहरे के साथ मिलकर प्रदूषण के कण सांसों में घुल रहे
-प्रदूषण के कण आंखों में चुभन पैदा करते हैं जिससे आंसू निकलने लगते हैं
Author: AMAN YATRA
SABSE PAHLE