रूरा कानपुर देहात। जलीय जीवों के जीवित रहने के लिए न्यूनतम चार मिली प्रति लीटर आक्सीजन की आवश्यकता होती ही है जल में डाले गए अपशिष्ट पदार्थ सड़ने से आक्सीजन की कमी हो जाती है और जलीय जीवों की मौत हो जाती है जो ह्रदयविदारक होता है मरे जानवर जल स्रोतों में कतई न डालें मृत जानवर के शरीर से निकले बैक्टीरिया से संक्रमित जल पीने से हमारे जानवर बीमार हो जाते हैं और बीमार जानवर का दूध पीने वाले लोग भी बीमार हो जाते है उक्त बात मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं नेपाल के राज्यपाल रतनेश्वर कायस्थ से गाँधी पर्यावरण योद्धा सम्मान प्राप्त सरस्वती शारदा विद्या मंदिर झींझक की प्रधानाचार्य अर्चना ने सिठमरा में आयोजित पानी पंचायत को सम्बोधित करते हुए कही।
इस कार्यक्रम की आयोजक परिहारिन पुरवा सिठमरा की आँगनवाड़ी सत्यवती ने कहा कि जल स्रोतों के किनारे शौंच करना जल में जानवर नहलाना जल संरक्षण अधिनियम उन्नीस सौ चौहत्तर की धारा इकतालीस से दस हजार रुपए जुर्माना और छ: साल जेल से दण्डनीय अपराध है इस अवसर पर मंजू देवी, रामशखी, मिथलेश कुमारी, नीलम शुक्ला, मीनाक्षी, शाक्षी, प्रियंका, शालिनी, शान्या आदि से जल संरक्षण की शपथ ली बाद में यही जल पंचायत रैली के रूप परिवर्तित होकर समाज सेवी गोपीकिशन के दरवाजे से प्रारम्भ होकर ग्रामीण बैंक पथरौल मार्केट होते हुए प्राथमिक विद्यालय सिठमरा के पास जाकर समाप्त हुई।
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