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प्रधानाध्यापक के बराबर मिलेगा प्रभारी प्रधानाध्यापक को वेतन

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत हजारों इंचार्ज हेड मास्टर के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया है 13 अगस्त 2025 का दिन उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत इंचार्ज हेड मास्टरों के लिए ऐतिहासिक रहा है।

Story Highlights
  • शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, हेडमास्टर की सैलरी देने के साथ 10 साल का एरियर भी देना होगा शिक्षकों में खुशी की लहर

कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत हजारों इंचार्ज हेड मास्टर के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया है 13 अगस्त 2025 का दिन उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत इंचार्ज हेड मास्टरों के लिए ऐतिहासिक रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया है इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है जिसमें इंचार्ज मास्टरों को हेड मास्टर के समान वेतन देने का आदेश दिया गया था।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में कार्य कर रहे इंचार्ज अध्यापकों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश से संबंधित सुनवाई की गई जिसमें सभी इंचार्ज हेड मास्टर को हेड मास्टर के समान वेतन देने का निर्देश जारी किया गया है यह निर्णय न केवल शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करता है बल्कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक नया मानदंड स्थापित करता है।

क्या है सैलरी का मामला-
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों को इंचार्ज अध्यापक का काम सौंपा गया है। 150 से कम नामांकन वाले विद्यालयों में हेड मास्टर का पद समाप्त कर दिया गया है और यहां सीनियर टीचर को हेड मास्टर बनाया गया है जो की इंचार्ज हेड मास्टर के तौर पर काम कर रहे हैं यह शिक्षक हेड मास्टर के सभी कार्य करते हैं लेकिन उन्हें वेतन सहायक अध्यापक का ही दिया जाता है इसी मामले को लेकर शिक्षकों ने इस मामले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला-
इसी मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कार्य के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए का आदेश जारी किया था इस निर्णय में कहा गया था यदि कोई शिक्षक हेडमास्टर की जिम्मेदारी निभा रहा है तो उसे हेड मास्टर के पद के बराबर ही वेतन मिलना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को इन शिक्षकों को हेड मास्टर के समान वेतन देने और बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था। इसके बाद सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि किसी भी शिक्षक को प्रशासनिक आदेश से प्रधानाध्यापक का चार्ज नहीं दिया गया है। 25 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की आवश्यकता ही नहीं है और ना ही इंचार्ज प्रधानाध्यापक की नियुक्ति का कोई प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला-
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्कों को बिल्कुल सिरे से खारिज कर दिया साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों का शोषण बंद कीजिए हमारे देश का शिक्षा तंत्र पहले ही खराब स्थिति में पहुंच गया है आप बिना सिर के विद्यालय संचालित कर रहे हैं शिक्षकों की ओर से पीस अधिवक्ताओं ने नियमावली के पेज नंबर 70 पैराग्राफ 6 का हवाला देते हुए कहा कि सीनियर मोस्ट शिक्षक से हेड मास्टर का काम लिया जाएगा इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति उच्च पद का काम कर रहा है तो उसे उस पद का वेतन भी दिया जाएगा। प्रशासनिक लापरवाही को देखते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यदि नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति नहीं की जा रही है तो इंचार्ज हेड मास्टरों को प्रमोशन क्यों नहीं दिया जा रहा है।

13 अगस्त को सुनाया ऐतिहासिक निर्णय-
13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया जिसमें राज्य सरकार की एसएलपी खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है साथ ही वेतन समानता का सिद्धांत स्थापित किया है जिसमें कार्य के अनुरूप ही वेतन दिया जाना चाहिए साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बकाया राशि देने का निर्देश भी दिया है जो की 31 मई 2024 से देनी होगी सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद लगभग 50000 से अधिक इंचार्ज हेडमास्टरों को लाभ मिलने वाला है साथ ही इन्हें 6 से 8 वर्षों का बकाया वेतन भी मिलेगा मनोबल बढ़ने से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की संभावना भी बढ़ेगी सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस फैसले के बाद अब सरकार के सामने हेड मास्टरों की नियुक्ति करना मजबूरी हो चुकी है अन्यथा उन्हें इंचार्ज मास्टरों को ही पूरा वेतन देना होगा।

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Author: aman yatra


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