कानपुर देहात

फसल अवशेष जलाने पर लगेगा जुर्माना: विनोद कुमार यादव

प्रायः देखा जाता है कि कुछ किसानों द्वारा फसल कटाई के उपरान्त फसल अवशेष/पराली को जला दिया जाता है। फसल अवशेष/पराली जलाने से जहाॅ एक ओर पर्यावरणीय क्षति, मृदा स्वास्थ्य एवं मित्र कीटों पर कुप्रभाव पडता है वही दूसरी ओर फसलों एवं ग्रामों में अग्निकाण्ड होने की भी सम्भावना होती है।

अमन यात्रा ,कानपुर देहात।  प्रायः देखा जाता है कि कुछ किसानों द्वारा फसल कटाई के उपरान्त फसल अवशेष/पराली को जला दिया जाता है। फसल अवशेष/पराली जलाने से जहाॅ एक ओर पर्यावरणीय क्षति, मृदा स्वास्थ्य एवं मित्र कीटों पर कुप्रभाव पडता है वही दूसरी ओर फसलों एवं ग्रामों में अग्निकाण्ड होने की भी सम्भावना होती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के तापमान में वृद्धि होने से मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पडता है, मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीव नष्ट होते है जिससे जीवांश के अच्छी प्रकार से सडने में भी कठिनाई होती है। पौधे जीवांश से ही पोषक तत्व लेते है तथा इससे फसलों के उत्पादन में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फसल अवशेष जलाये जाने पर पूर्णतः रोक लगाते हुए इस दण्डनीय अपराध की श्रेणी में रखा है तथा यदि किसी व्यक्ति द्वारा फसल अवशेष/पराली जलाने की घटना घटित की जाती है तो मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के अन्तर्गत उसके विरूद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रु0 2500/- प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ के लिए रु0 5000/- प्रति घटना और 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रु0 15000/- प्रति घटना अर्थदण्ड वसूला जायेगा।

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“उपरोक्त जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक विनोद कुमार यादव ने जनपद के समस्त कृषक भाइयों से अनुरोध है कि वह फसल कटाई उपरान्त फसल अवशेष/पराली न जलाये। पराली प्रबन्धन हेतु कृषक भाई निम्न उपाये अपना सकते हैः-

  1. फसल कटाई उपरान्त मल्चर, एम0बी0प्लायू, हैप्पी सीडर, सूपर सीडर, आदि इन-सीटू कृषि यंत्रों के माध्यम से जुताई कर दें, जिससे फसल अवशेष छोटे-छोटे टुकडों के कट कर मिट्टी में मिल जायेगा, तदोपरान्त यूरिया/वेस्ट डिकम्पोजर का छिडकाव कर खेत में पानी लगा दे, जिससे फसल अवशेष का प्रबन्धन होने के साथ-साथ खेत को जैविक उर्वरक की प्राप्ति होगी एवं अगली फसल के उत्पादन में वृद्धि होगी।

  2. फसल अवशेष से कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट खाद बना कर जैविक उर्वरक के रूप में प्रयोग कर सकते है।

  3. किसान भाई फसल अवशेष/पराली को पशु चारे के रूप में भी प्रयोग कर सकते है अथवा निराश्रित गौ वंश स्थलों पर दान कर सकते है।

  4. जिला प्रशासन द्वारा जनपद में स्थापित गौशालाओं पर पराली दो खाद लो कार्यक्रम का संचालन वृहद रूप से किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत दो ट्राली पराली देकर कृषक भाई उसके बदले एक ट्राली गोबर खाद प्राप्त कर सकते है।

दिनांक 28.10.2022 को जनपद में तहसील भोगनीपुर, विकासखण्ड मलासा के ग्राम पुलंदर में फसल अवशेष जलाने की घटना सेटलाइट के माध्यम से पकडी गयी, जिसका स्थलीय सत्यापन करने पर जंगबहादुर के बटाईदार राजू सेंगर पुत्र शंकर सिंह द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटना घटित होना पाया गया है, जिलाधिकारी महोदया के निर्देश पर सम्बन्धित व्यक्ति के विरूद्ध नियमानुसार अर्थदण्ड की कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। जनपद के समस्त सम्मानित किसान भाईयों से अनुरोध है कि फसल अवशेष/पराली कदापि न जलायें।

Author: aman yatra

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