कानपुर देहात

फाइलेरिया अभियान को सफल बनाए जाने के लिए स्कूलों में शिक्षक दिलाएंगे शपथ

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान 28 फरवरी तक चलेगा। लोगों को फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। इस बार शत-प्रतिशत लाभार्थियों को दवा खिलाने का प्रयास किया जा रहा हैं। जनपद कानपुर देहात के परिषदीय स्कूलों के लगभग 1.5 लाख बच्चों को भी फाइलेरिया उन्मूलन के लिए शपथ भी दिलाई जाएगी।

कानपुर देहात। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान 28 फरवरी तक चलेगा। लोगों को फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। इस बार शत-प्रतिशत लाभार्थियों को दवा खिलाने का प्रयास किया जा रहा हैं। जनपद कानपुर देहात के परिषदीय स्कूलों के लगभग 1.5 लाख बच्चों को भी फाइलेरिया उन्मूलन के लिए शपथ भी दिलाई जाएगी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु बेसिक शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने विद्यालयों में निम्नांकित गतिविधियाँ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं-

विद्यालयों में एमडीए/आईडीए की तिथियों एवं कार्यक्रम के महत्व के बारे में बच्चों को जागरूक करते हुए विद्यालयों में ही फाइलेरिया रोधी औषधि का सेवन कराया जाए। यह औषधि मध्यान्ह भोजन ग्रहण करने के उपरान्त बच्चों को खिलाई जाए। बच्चों में जागरूकता हेतु निबन्ध प्रतियोगिता एवं पेंटिंग कॉम्पटिशन का आयोजन कराया जाए। जनपद के समस्त विद्यालयों में प्रत्येक कक्षा के अभिभावक एवं अध्यापक के व्हाट्सएप ग्रुप में फाइलेरिया से बचाव हेतु वीडियो एवं सन्देश को साझा किया जाए। उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि विभिन्न गतिविधियों को व्यक्तिगत रूचि लेकर सम्पन्न कराएँ जिससे जनपद में फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

पूरी तरह सुरक्षित है दवा-

फार्मासिस्ट राजेश कटियार ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। रक्तचाप, शुगर व अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्ति भी इन दवाओं का सेवन कर सकते हैं। एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवाएं नहीं खिलाई जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

ऐसे करें फाइलेरिया से बचाव-

 फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं। हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवा लगाएं।

Author: AMAN YATRA

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