फैजाबाद में भाजपा के हार की 8 बड़ी वजहें क्या हैं,राम मंदिर निर्माण का भी नहीं मिला फायदा,सपा के अवधेश प्रसाद जीते,भाजपा के लल्लू सिंह हारे
लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है।यूपी की 80 लोकसभा सीटों में समाजवादी पार्टी को 37, भाजपा को 33, कांग्रेस को 6, आरएलडी को 2, आजाद समाज पार्टी को एक और अपना दल (सोनेलाल) को एक सीट मिली है
अयोध्या।लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है।यूपी की 80 लोकसभा सीटों में समाजवादी पार्टी को 37, भाजपा को 33, कांग्रेस को 6, आरएलडी को 2, आजाद समाज पार्टी को एक और अपना दल (सोनेलाल) को एक सीट मिली है।
फैजाबाद में सपा जीती
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला आंकड़ा फैजाबाद लोकसभा से सामने आया है। फैजाबाद में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों से जीते हैं। अवधेश प्रसाद को कुल 5,54,289 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के सच्चिदानंद पांडे रहे। सच्चिदानंद को 46,407 वोट मिले।
राम मंदिर निर्माण का नहीं मिला फायदा
भाजपा ने राम मंदिर के मुद्दे पर देशभर में माहौल बनाया था और उसे उम्मीद थी कि इसका फायदा उसे यूपी के लोकसभा चुनावों में मिलेगा,लेकिन भाजपा की यह रणनीति न सिर्फ यूपी में धराशायी हो गई बल्कि फैजाबाद में भी बिल्कुल विपरीत नतीजे मिले।जनता के बीच भी यह चर्चा जोरों पर है कि जिस अयोध्या में भाजपा ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का इतना बड़ा आयोजन किया और इस इवेंट को दुनियाभर में हाईलाइट किया वहां से भी भाजपा हार गई।अयोध्या में पीएम मोदी खुद गए, सीएम योगी ने भी कई दौरे किए।देशभर की हस्तियों को यहां बुलाया गया फिर भी भाजपा यहां से जीत हासिल नहीं कर सकी।
फैजाबाद में क्यों हारी भाजपा
जातिगत समीकरण: फैजाबाद लोकसभा में पासी मतदाता बड़ी संख्या में है।ऐसे में सपा ने पासी समुदाय के अवधेश प्रसाद को फैजाबाद के चुनावी मैदान में उतारा।यूपी की सियासत में अवधेश प्रसाद दलितों का एक बड़ा चेहरा हैं और उनकी छवि एक जमीनी नेता की है।सपा को फैजाबाद में दलितों का खूब वोट मिला। अवधेश प्रसाद की लोकप्रियता: सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की फैजाबाद में की जनता पर अच्छी पकड़ है। इस बात का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि अवधेश कुमार 9 बार के विधायक हैं और मंत्री भी रहे हैं। अवधेश प्रसाद सपा संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।
संविधान पर बयान पड़ा भारी: फैजाबाद से भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह का संविधान को लेकर दिया गया बयान भारी पड़ गया। लल्लू सिंह ने कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है। लल्लू सिंह के इस बयान का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।
लल्लू सिंह से नाराजगी:लल्लू सिंह फैजाबाद से 2 बार से सांसद हैं।भाजपा ने लल्लू सिंह को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया था। जबकि जनता के बीच लल्लू सिंह को लेकर काफी नाराजगी दिखी,क्योंकि अयोध्या के आस-पास के इलाकों में विकास के कार्य नहीं हुए। राम मंदिर पर फोकस्ड होने की वजह से जनता के मुद्दे पीछे छूटते गए। जिसका असर ये हुआ कि लल्लू सिंह को कम वोट पड़े।
राम मंदिर निर्माण के लिए घर और दुकान तोड़े गए:अयोध्या में 14 किलोमीटर लंबा रामपथ बनाया गया। इसके अलावा भक्ति पथ और रामजन्मभूमि पथ भी बना। ऐसे में इसकी जद में आनेवाले घर और दुकानें टूटीं,लेकिन मुआवजा सभी को नहीं मिल सका। उदाहरण के तौर पर अगर किसी शख्स की 200 साल पुरानी कोई दुकान थी,लेकिन उसके पास कागज नहीं थे तो उसकी दुकान तो तोड़ी गई,लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। मुआवजा केवल उन्हें मिला, जिसके पास कागज थे। ऐसे में लोगों के बीच नाराजगी थी,जिसे उन्होंने वोट न देकर जाहिर किया।
आरक्षण पर मैसेज पड़ा भारी:अयोध्या में भाजपा को अपने नेताओं की बयानबाजी और प्रोपेगंडा भी भारी पड़ा। जनता के बीच ये मैसेज गया कि भाजपा आरक्षण को खत्म कर देगी, संविधान को बदल देगी।ऐसे में लोगों का एक बड़ा तबका सपा की ओर चला गया।
युवाओं में गुस्सा: भाजपा को लेकर युवा वर्ग में एक गुस्सा दिखाई दिया।युवा अग्निवीर को लेकर सरकार से सहमत नहीं दिखे।बेरोजगारी और पेपर लीक भी युवाओं के गुस्से की अहम वजह रही। इस वजह से युवाओं का वोट भी भाजपा के खिलाफ गया।
कांग्रेस के लिए दलितों में सॉफ्ट कॉर्नर:जहां फैजाबाद के दलितों में भाजपा को लेकर नाराजगी थी, वहीं कांग्रेस के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर भी था। जिसका असर चुनावों में देखने को मिला।