बच्चों को पीटना तो दूर अब आंखें भी तरेर नहीं सकेंगे शिक्षक, छात्रों के लिए बनाया जाएगा फोरम

बदले सामाजिक परिवेश ने शिक्षकों के हाथ बांध दिए हैं। बच्चा पढ़ाई करे चाहे न करे, कक्षा में खूब उदंडता करे, पर मास्टर साहब उसे किसी प्रकार का दंड नहीं दे सकेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के बाद कुछ इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग की ओर से कहा गया है कि शिक्षक बच्चों को किसी भी प्रकार का शारीरिक व मानसिक दंड नहीं देंगे। वह बच्चों को डांटेंगे नहीं, मारेंगे नहीं, बेंच पर खड़ा नहीं करेंगे, परिसर में दौड़ाएंगे नहीं

कानपुर देहात। बदले सामाजिक परिवेश ने शिक्षकों के हाथ बांध दिए हैं। बच्चा पढ़ाई करे चाहे न करे, कक्षा में खूब उदंडता करे, पर मास्टर साहब उसे किसी प्रकार का दंड नहीं दे सकेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के बाद कुछ इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग की ओर से कहा गया है कि शिक्षक बच्चों को किसी भी प्रकार का शारीरिक व मानसिक दंड नहीं देंगे। वह बच्चों को डांटेंगे नहीं, मारेंगे नहीं, बेंच पर खड़ा नहीं करेंगे, परिसर में दौड़ाएंगे नहीं। ऐसे में शिक्षकों के मन में बड़ा सवाल है कि उद्दंड व शरारती बच्चों से कि तरह से निपटेंगे। शिक्षकों के अनुसार, शहर में तो थोड़ा ठीक है लेकिन ग्रामीण परिवेश में कई बार ऐसे शरारती बच्चे मिलते हैं जिन्हें कंट्रोल करने के लिए कुछ न कुछ दंड देना जरूरी होता है किंतु विभाग के नए आदेश के बाद तो वह खुद को असहाय व लाचार ही पाते हैं। ऊपर से यह भी निर्देश है कि सभी बच्चों को व्यापक प्रचार-प्रसार के जरिए बताया जाए कि उन्हें शारीरिक दंड के विरोध में अपनी बात कहने का अधिकार है।

बच्चों के लिए बनाया जाएगा फोरम-
हर उस स्कूल, छात्रावास, जेजे होम्स, बाल संरक्षण गृह में एक फोरम बनाया जाएगा, जहां बच्चे अपनी बात रख सकें। एक शिकायत पेटिका रखी जाएगी जिसमें छात्र शिकायती पत्र दे सकेंगे। अभिभावक शिक्षक समिति नियमित रूप से इन शिकायतों की सुनवाई करेगी।

किसी बच्चे के साथ न हो विभेद-
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि भोजन, खेल के मैदान, पेयजल व प्रसाधन सुविधाओं में भी कोई विभेद नहीं होगा। बच्चों को उनके अधिकारों से परिचित कराते हुए उनके लिए तैयार मॉड्यूल का शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी विद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि हर माह शिक्षक-अभिभावक समिति की बैठक में इसकी जानकारी दी जाए।

क्या नहीं कर सकते हैं शिक्षक-
बच्चों को डांटना, फटकारना, परिसर में दौड़ाना, चिकोटी काटना, छड़ी से पीटना, चपत मारना, चाटा मारना, घुटनों के बल बैठाना, क्लास रूम में अकेले बंद करना, बच्चों को नीचा दिखाने से जुड़े कार्य, शारीरिक व मानसिक आघात पहुंचाने वाले काम पूर्णरूप से प्रतिबंधित हैं।

Author: aman yatra

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