फर्राटे से अंग्रेजी बोलेंगे सरकारी स्कूलों के बच्चे
फर्राटे से अंग्रेजी बोलेंगे सरकारी स्कूल के बच्चे। प्रयोग कई बार हुआ लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। सरकारी स्कूल के शिक्षकों को कराया गया स्पोकेन इंग्लिश का कोर्स लेकिन कुछ ज्यादा सफलता नहीं मिली लेकिन अब बेसिक शिक्षा विभाग एक ऐसी कार्ययोजना बना रहा है जिसमें चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों की अंग्रेजी बोलने में दिलचस्पी बढ़ाते हुए प्रशिक्षण दिया जायेगा।

- ■ दिलचस्प तरीके से सीखेंगे अंग्रेजी बोलना
- जूनियर स्कूल के शिक्षकों के साथ शुरू होगा कोर्स
- हर शिक्षक की अंग्रेजी में दक्षता भी नापी जाएगी
कानपुर देहात । फर्राटे से अंग्रेजी बोलेंगे सरकारी स्कूल के बच्चे। प्रयोग कई बार हुआ लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। सरकारी स्कूल के शिक्षकों को कराया गया स्पोकेन इंग्लिश का कोर्स लेकिन कुछ ज्यादा सफलता नहीं मिली लेकिन अब बेसिक शिक्षा विभाग एक ऐसी कार्ययोजना बना रहा है जिसमें चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों की अंग्रेजी बोलने में दिलचस्पी बढ़ाते हुए प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसका तकनीकी फ्रेमवर्क भी बनेगा जिससे हर शिक्षक की अंग्रेजी में दक्षता भी नापी जाएगी। इसके लिए विभाग निजी एजेंसियों की मदद लेगा। ये एजेंसी कंटेंट के साथ तकनीक को भी जोड़ेगी। पहले जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। अगले सत्र में प्राइमरी के शिक्षकों और इसके बाद के शैक्षिक सत्रों में छात्र छात्राओं को स्मार्ट क्लास की मदद से अंग्रेजी सिखाई जाएगी। निपुण भारत मिशन सूची में अंग्रेजी भी जोड़ी जाएगी और इसका असेसमेंट भी ऑनलाइन होगा। इसमें नौ मॉड्यूल होंगे और यह छह महीने चलेगा।
ऑडियो-विजुअल और संवादात्मक होंगे सेशन-
तकनीकी फ्रेमवर्क में ऐसे संवादात्मक क्रियाएं जोड़ी जाएंगी कि शिक्षकों को इसमें दिलचस्पी जगे। तकनीक के माध्यम से पहले उसकी दक्षता नापी जाएगी और फिर उसे उसके हिसाब से कोर्स दिए जाएंगे। मसलन उस शिक्षक को व्याकरण आती हो या शब्दावली मजबूत हो तो उसे आगे के स्तर के मॉड्यूल दिए जाएंगे। इस कोर्स में ऑडियो विजुअल और इंटरैक्टिव सेशन होंगे ताकि उनकी रुचि बनी रहे। इसमें प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर होगा, न कि पढ़कर जवाब देने पर इसमें काउंसलर की व्यवस्था भी होगी। लर्निंग आउटकम की तरह इसके पोर्टल पर दिखेगा कि किस ब्लॉक के कितने शिक्षकों ने कोर्स को पूरा किया है।
अभी तक चल रहे कोर्स नहीं हुए प्रभावी-
अभी तक दीक्षा एप या आंग्ल भाषा संस्थान के स्पोकेन इंग्लिश के कोर्सों को विभाग चला रहा है। इसमें मॉड्यूल आते हैं और शिक्षकों को उन्हें पूरा करना होता है लेकिन कक्षाओं पर इसका असर नहीं दिख रहा है। शिक्षकों की माने तो यह बहुत उबाऊ प्रक्रिया है। इसमें समय भी ज्यादा लगता है जबकि हम लोगों के पास समय का अभाव रहता है। इसमें मॉड्यूलवार चैप्टर आते हैं और इसके बाद सवाल जवाब देने पर प्रमाणपत्र दिया जाता है जिस कारण इसमें शिक्षक रूचि नहीं ले रही हैं।
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