बाराबंकी में कागज वाली कहानी: “साहब, मैं जिंदा हूं”, कागजों में मृत घोषित बुजुर्ग दर-दर भटक रहा
कागजों में जिंदा होना सच में जिंदा होने से ज्यादा जरूरी है। बॉलीवुड फिल्म “कागज” में एक जिंदा आदमी को विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था।

एजेंसी,बाराबंकी – कागजों में जिंदा होना सच में जिंदा होने से ज्यादा जरूरी है। बॉलीवुड फिल्म “कागज” में एक जिंदा आदमी को विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था। इसी तरह का एक मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से सामने आया है, जहां 72 वर्षीय गुरुदीन को विभाग ने कागजों में मृत घोषित कर दिया है।
गुरुदीन को इस बात का पता तब चला जब वह पेंशन लेने ग्राहक सेवा केंद्र पहुंचे। वहां उन्हें बताया गया कि उनकी पेंशन किसी वजह से रुकी हुई है। जांच करने पर पता चला कि उन्हें विभाग ने मृत मान लिया है।
14 महीने से रुकी पेंशन
गुरुदीन ने बताया कि उनकी पेंशन 14 महीने से रुकी हुई है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को खुद के जिंदा होने के सबूत भी दिए, लेकिन अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। जब तक दस्तावेजों में उन्हें जिंदा घोषित नहीं किया जाएगा, तब तक उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी।
अधिकारियों की अनदेखी
गुरुदीन के घरवालों ने कहा कि 72 साल की उम्र में उन्हें सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। कागजों में यह गड़बड़ी कैसे हुई, इसका भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है। परिवार असमंजस में है कि अब क्या करें।
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