बाल गंगाधर तिलक की मनाई गई जयन्ती
सुमेरपुर, वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है के सूत्रधार बाल गंगा धर तिलक की जयन्ती 23जुलाई 1856 पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने श्रद्धान्जलि देते हुए कहा कि तिलक जी एक महान उग्रवादी नेता थे
अमन यात्रा, हमीरपुर। सुमेरपुर, वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है के सूत्रधार बाल गंगा धर तिलक की जयन्ती 23जुलाई 1856 पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने श्रद्धान्जलि देते हुए कहा कि तिलक जी एक महान उग्रवादी नेता थे,ये स्वाधीनता आंदोलन के अग्रदूत थे,इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, तिलक जी ने मराठा और केसरी नामक दो समाचार पत्र निकाले, जिनके माध्यम से आजादी के संघर्ष के लिए युवाओं को जागरूक किया, गोरो की आलोचना की,जिस पर तिलक जेल भी गये, पेपर भी प्रतिबन्धित हुये, पर ये डरे नहीं।इन्हें लाला लाजपतराय और बिपिनचंद्र पाल जैसे उग्रवादी साथियों का साथ मिला, इनके मिशन को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना गया।तिलक जी 1890 मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड गये, तिलक जी ने 1916 मे एनी बेसेंट के साथ मिलकर होमरुल लीग की स्थापना की,तिलक ने स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर ही रहूँगा।जैसा स्वराज का विचार रखा, फिर पूर्ण स्वराज की माग रखी, जिसे तिलक का बडा योगदान कहा जा सकता है।इन्होंने इग्लैंड जाकर भारत के मत को रखा, तिलक ने 1907 मे उग्रवादी दल का गठन किया था, कालांतर मे मुबंई मे 01 अगस्त 1920 को इनका निधन हो गया, कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, रमेशचंद्र गुप्त, दिलीप अवस्थी ,रामसनेही, बिन्दा प्रसाद, रोहित, पुन्नी महाराज और रमाकांत आदि शामिल रहे।