बिग ब्रेकिंग- अब कम्पोजिट ग्रांट पर नहीं चलेगी शिक्षकों की मनमानी
परिषदीय स्कूलों की कम्पोजिट ग्रांट पर अब हेडमास्टर की मनमानी नहीं चलेगी। शासन ने इसके खर्च करने के नियम बदल दिए हैं। यह धनराशि खर्च करने से पहले हेडमास्टर को कार्ययोजना बनानी होगी व जीएसटी बिल पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
- धनराशि खर्च करने से पहले हेडमास्टर को बनानी होगी कार्ययोजना व जीएसटी बिल पोर्टल पर करना होगा अपलोड
लखनऊ/ कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों की कम्पोजिट ग्रांट पर अब हेडमास्टर की मनमानी नहीं चलेगी। शासन ने इसके खर्च करने के नियम बदल दिए हैं। यह धनराशि खर्च करने से पहले हेडमास्टर को कार्ययोजना बनानी होगी व जीएसटी बिल पोर्टल पर अपलोड करना होगा। अफसरों की संस्तुति के बाद यह धनराशि दुकानदार के बैंक खाते में सीधे भेजी जाएगी। परिषदीय स्कूलों के रखरखाव व रंगाई-पुताई के लिए प्रत्येक वर्ष शासन से प्रबंध समितियों के खाते में तय धनराशि भेजी जाती है। अधिकतर हेडमास्टर यह धनराशि मनमाने तरीके से निकालकर खर्च करते हैं और काफी धनराशि बचा लेते हैं।
इससे स्कूलों की दशा जीर्ण-शीर्ण बनी रह जाती है। हेडमास्टरों की इस मनमानी पर रोक के लिए शासन ने यह धनराशि खर्च करने का नियम संशोधित कर ऑनलाइन कर दिया है। अब कम्पोजिट ग्रांट खर्च करने से पहले हेडमास्टर को मद बताना होगा, इसके बाद मद की कार्ययोजना तैयार कर किसी दुकानदार से जीएसटी बिल लेकर पोर्टल पर अपलोड करना होगा। कार्ययोजना की संस्तुति के बाद हेडमास्टर के मोबाइल पर ओटीपी मिलेगा। इसी ओटीपी से संबंधित दुकानदार के बैंक खाते में कार्ययोजना तैयार कर किसी दुकानदार से जीएसटी बिल लेकर पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इतना ही नहीं परिषदीय स्कूलों की दीवार पर कंपोजिट ग्रांट राशि खर्च करने का ब्योरा भी लिखवाना होगा।
प्रधानाध्यापकों को पिछले तीन वर्षो का पूरा हिसाब किताब स्कूलों की दीवारों पर लिखवाना होगा। कुछ जिलों से कंपोजिट ग्रांट में फर्जीवाड़े की शिकायत शासन को लगातार मिल रही थीं। फर्जीवाड़े को रोकने के लिए शासन की ओर से यह निर्णय लिया गया है।
बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से पत्र आने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को इस पर काम कराने का निर्देश दिया है।