बिग ब्रेकिंग: स्कूल मर्जर के बाद अब प्रधानाध्यापकों पर लटकी तलवार

परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक बनने की इच्छा रखने वाले शिक्षकों को अब यह पद आसानी से नहीं मिल सकेगा क्योंकि इन पदों पर जो शिक्षक पहले से तैनात हैं उनकी गर्दन पर भी तलवार लटक गई है।

कानपुर देहात। परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक बनने की इच्छा रखने वाले शिक्षकों को अब यह पद आसानी से नहीं मिल सकेगा क्योंकि इन पदों पर जो शिक्षक पहले से तैनात हैं उनकी गर्दन पर भी तलवार लटक गई है। यदि विद्यालय में छात्र संख्या आरटीई एक्ट के मानकों के अनुरूप नहीं मिली तो शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद से हाथ धोना पड़ेगा। अब शिक्षकों को पदोन्नति मिलना दूर संबंधित विद्यालय में यह पद ही समाप्त कर दिया जायेगा। जनपद में हजारों विद्यालय मर्ज हो जाएंगे जिनके भी प्रधानाध्यापक दर-दर की ठोंकरे खाने को मजबूर होंगे।

जनपद में संचालित जितने भी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूल हैं उनमें से बमुश्किल 10 प्रतिशत ऐसे विद्यालय होंगे जिसमें छात्र संख्या 100 या 150 होगी और यह विद्यालय कस्बों और नगर क्षेत्र से जुड़े हैं जबकि इंटीरियर क्षेत्रों में किसी-किसी विद्यालय में तो 10 से 15 छात्र तक पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में शासन का यह फरमान है कि जिन प्राइमरी विद्यालयों में छात्र संख्या 150 होगी और जिन जूनियर अथवा कंपोजिट स्कूलों में 100 छात्र संख्या होगी केवल उन्हीं स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद सुरक्षित रह सकेंगे अन्यथा की स्थिति में यह पद ही समाप्त कर दिया जायेगा। कहा तो यह भी जा रहा है यह प्रक्रिया अगले सत्र में लागू हो जायेगी।

इस सत्र में सरप्लस प्रधानाध्यापकों को स्वेच्छा से जनपद के अंदर अपना तबादला करवाने के लिए एक मौका दिया गया है इसके बाद प्रधानाध्यापकों की जहां आवश्यकता होगी वहां उन्हें जबरन भेजा जाएगा। यदि इस नए फरमान पर रोक नहीं लगी तो इस बार निश्चित ही प्रधानाध्यापक बनने की लाइन में लगे शिक्षकों को भी मन मसोसना पड़ सकता है क्योंकि स्कूल मर्जर प्रक्रिया से पहले से ही हजारों प्रधानाध्यापक प्रतीक्षा सूची में आ गए हैं। विभाग द्वारा जारी सरप्लस प्रधानाध्यापकों की सूची ने भी तहलका मचा रखा है अब इन्हें अपनी नौकरी बचाने के भी लाले पड़े हैं।
सरकार का फैसला गलत-
कुछ शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह सरकार का गलत फैसला है। एक ओर बीएसए दफ्तर से अंधाधुंध मान्यताएं दी जाती हैं जिससे अधिकतर बच्चे वहीं पढ़ने जाते हैं। दूसरी ओर सरकार जनसंख्या वृद्धि रोकने की बात करती है। ऐसे में कहां से इतने बच्चे भविष्य में हो सकेंगे। दिन प्रतिदिन स्कूलों में छात्र संख्या और कम होगी। सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से एक प्रधानाध्यापक की तैनाती होनी चाहिए।
अभी शासनादेश स्पष्ट नहीं-
बीएसए अजय कुमार मिश्रा का कहना है कि अभी शासनादेश में कुछ भी स्पष्ट नहीं है, आरटीई एक्ट के तहत प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों को सरप्लस सूची में डाला गया है उसी के अनुसार स्वेच्छा से जनपद के अंदर स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। जैसे ही स्पष्ट स्थिति वाला शासनादेश प्राप्त होगा वह उसी के अनुरूप कार्यवाही करेंगे।

Author: aman yatra

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