ग्रामीण क्षेत्र में बिजली बिल की वसूली उपभोक्ताओं से तो हो गई लेकिन उसे पावर कारपोरेशन के राजस्व खाते में नहीं जमा करने का एक और मामला प्रकाश में आया है। वैसे यह मामला दो दिन पहले 2 करोड़ 41 लाख 345 रुपये के गबन के भी पहले का है। इसमें जांच अभी पूरी न होने के कारण अधिकारी इसका खुलासा नहीं कर रहे थे। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता (एसी) महेंद्र कुमार ने बताया कि बिजली विभाग में कैशियर पद पर तैनात रहे श्यामनारायण द्वारा 31.10.2019 से लेकर करीब एक साल तक के बिजली बिल की वसूली का रुपया कारपोरेशन के खाते में जमा करने की रसीद नहीं दिखा सके थे। मामले की जांच राठ एक्सइएन विमल कुमार तथा एक वहीं के एकाउंटेंट यशपाल को सौंपी गई थी। जांच के दौरान टीम ने जो रिपोर्ट सौंपी उसमें 17 करोड़ के बाउचर नहीं मिलने की बात कही गई थी। साथ ही जांच टीम ने मांग की थी कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। इस पर दूसरी जांच टीम गठित हुई। इसमें एसी महेंद्र कुमार और एकाउंट आफीसर बृजेंद्र कुमार जांच टीम में शामिल हैं।

अधीक्षण अभियंता ने बताया कि जांच के दौरान अभी तक बैंक से कुछ प्रपत्र मिले हैं। वैसे पूरे दस्तावेज के बाद ही पता चलेगा कि कितनी धनराशि का गबन किया गया है। इसके बाद ही आरोपित के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।

जल्द आ जाएगी पूरी जानकारी

अधीक्षण अभियंता का कहना है कि बिजली विभाग के उपभोक्ताओं के बिल की वसूली बैंक ऑफ बड़ौदा और एचडीएफसी बैंक में होती है। इन बैंकों से दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। कुछ डिटेल आ गई हैं। अभी तक जो मामला प्रकाश में आया उसमें यह तो तय है कि कहीं न कहीं गबन तो हुआ है। इसमें मामला जांच के बाद ही खुल कर सामने आ सकेगा।

आरोपित अन्य मामले में हो चुका  निलंबित

एक्सइएन ग्रामीण डीआर विमलेश ने बताया कि आरोपित श्यामनारायण के खिलाफ एक और मामला एक साल पहले प्रकाश में आया था। उसने उपभोक्ताओं के बिजली बिल का रुपया जमा करने के दौरान कार्बन कापी नहीं लगा रहा था। साथ ही उपभोक्ता से पैसे ज्यादा लेता और विभाग में दर्ज कम कर रहा था। इस मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए निलंबित कर दिया गया था।