उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूज

बिना मान्यता वाले स्कूलों पर लगाम नहीं लेकिन बंद करेंगे परिषदीय स्कूल

उत्तर प्रदेश में तरक्की के नए आयाम शुरू हो गया हैं अगर अधिकारी अपने मिशन में कामयाब हुए तो राज्य के 27 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों पर ताले लग जाएंगे और घर, समाज व देश को बिगाड़ने वाली मधुशालाओं की संख्या दोगुनी कर दी जाएगी। सरकार शिक्षकों की दुश्मन पहले से ही बनी हुई है अब गरीब बच्चों से भी शिक्षा का अधिकार छीन रही है

Story Highlights
  • माफियाओं व नेताओं के स्कूलों को दिया जा रहा है बढ़ावा
  • सरकार ने निजीकरण की मुहिम की तेज

कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश में तरक्की के नए आयाम शुरू हो गया हैं अगर अधिकारी अपने मिशन में कामयाब हुए तो राज्य के 27 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों पर ताले लग जाएंगे और घर, समाज व देश को बिगाड़ने वाली मधुशालाओं की संख्या दोगुनी कर दी जाएगी। सरकार शिक्षकों की दुश्मन पहले से ही बनी हुई है अब गरीब बच्चों से भी शिक्षा का अधिकार छीन रही है। सरकार सरकारी स्कूलों का खात्मा कर प्राइवेट स्कूलों को पोषित करने की योजना पर काम कर रही है। प्रत्येक जनपद में सैकड़ो स्कूल बगैर मान्यता के संचालित हैं लेकिन सरकार उन पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। शिक्षा माफिया, नेताओं के स्कूलों को खाद पानी देने में सहायक बनी हुई है। अध्यापकों की नौकरी खाने की चाल चल चल रही सरकार उनके हौसलों को मर्ज करने जा रही है। पदोन्नति, तबादलों व नियुक्तियों को मर्ज कर बीमारी का इलाज करने की बजाए सरकार बीमार को परलोक पहुंचाने का ताना बाना बुन रही है। गरीबी को खत्म करने की बजाए गरीब को खत्म करने का रास्ता चुन रही है। शिक्षा के मौलिक अधिकार को छीनकर बच्चों को कीचड़ में ही रहने को मजबूर कर रही है। यह अभियान सरकारी स्कूलों को बंदकर शिक्षा के निजीकरण की दिशा में बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही राज्यभर में ढिंढोरा पीटते फिरें कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा के मौलिक अधिकार का शत प्रतिशत पालन किया जा रहा है लेकिन उनकी सरकार के इस दावे को झुठलाने की साजिश उन्हीं की नौकरशाही रच रही है।

यही नौकरशाही बिजली को निजी हाथों में देने पर उतारू है और अब शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ ऐसी ही साजिश नजर आने लगी है। हमारा सरकार से कहना है कि शिक्षा है मौलिक अधिकार, मत बनाओ इसे व्यापार। सरकार अगर पाठशालाओं को बंद करेगी और मधुशालाओं को बढ़ाएगी तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य क्या होगा यह सहज ही कल्पना की जा सकती है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने राज्य के उन स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने के लिए सर्वे शुरू कराया है जिनमें 50 से कम बच्चे हैं। बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है। देशभर में ऐसे स्कूलों की संख्या 27 हजार के लगभग है। इन स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है। गोरखपुर से इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। इस योजना के पीछे विभागीय अधिकारियों का छिपा एजेंडा है। सरकार को बेहतर व्यवस्था व खर्चा कम करने का झांसा देकर अधिकारी धीरे धीरे शिक्षा विभाग को भी निजी हाथों में देना चाहते हैं। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के विरोध के बीच इसकी प्रक्रिया गति पकड़ रही है। वहीं शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर करने की कवायद के बीच पिछले दिनों कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के बच्चों को पास के स्कूलों में शिफ्ट करने का निर्देश जारी किया गया है। इसे लेकर जिलों में काफी तेजी से कवायद चल रही है। इसी क्रम में गोरखपुर में प्राथमिक विद्यालय मिर्जवा बाबू को प्राथमिक विद्यालय रउतैनिया बाबू से (पेयरिंग) करने की संस्तुति की गई है।

वहीं इसका विरोध भी तेज हो गया है। इसमें सवा लाख से अधिक ट्वीट हुए। शिक्षक संगठनों ने स्कूलों के विलय का विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्र में नौनिहालों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह आरटीई एक्ट का भी उल्लंघन है। अगर सरकारी स्कूलों में नामांकन घट रहा है तो इसका समाधान शिक्षक और संसाधन बढ़ाकर किया जाए न कि स्कूलों का विलय करके। शिक्षकों के खाली पदों को भरा जाए।योगी के राज्य में प्राइमरी स्कूलों में उन स्कूलों के बच्चों को पास वाले स्कूलों में शिफ्ट किया जा रहा है। जहां पर छात्र संख्या कम है। इसी अनुसार अध्यापकों का भी बदलाव हो रहा है। शासन ने कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को पास के स्कूल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। इस आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि शासन विद्यालयों के पेयरिंग के नाम परिषदीय विद्यालयों को बंद कर रहा है। यह न सिर्फ शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) की मूल भावना का अतिक्रमण है बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय भी है। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने भी विद्यालयों के विलय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार सीधे-सीधे स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है। सरकार नहीं चाह रही है कि गरीब, किसान, ठेले वाले, मजदूरों के बच्चे शिक्षा पाकर उच्च पदों पर पहुंच सके। उन्होंने कहा कि स्कूल मर्ज करने का विरोध किया जाएगा।

anas quraishi
Author: anas quraishi

Sabse pahle


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading