फतेहपुर

बिन्दकी नगर के बजरिया रोड से बारह रबी उल अव्वल के जुलूस का हुआ आगाज़

कोरोना काल के कारण अब तक लगभग सभी धार्मिक त्योहारों पर पाबंदी लगी हुई थी जिसके चलते ईद मिलाद उन नबी के जुलूस पर भी पाबन्दी रही लेकिन कोविड प्रोटोकॉल हटने के बाद से यह पहला जुलूस होगा जिस पर पूरी तरह से पूर्व की भांति पूरे जोशो खरोश के साथ जुलूस निकालने पर छूट रहेगी

फतेहपुर,अमन यात्रा  : कोरोना काल के कारण अब तक लगभग सभी धार्मिक त्योहारों पर पाबंदी लगी हुई थी जिसके चलते ईद मिलाद उन नबी के जुलूस पर भी पाबन्दी रही लेकिन कोविड प्रोटोकॉल हटने के बाद से यह पहला जुलूस होगा जिस पर पूरी तरह से पूर्व की भांति पूरे जोशो खरोश के साथ जुलूस निकालने पर छूट रहेगी जहां बजरिया रोड से इसका आगाज होते हुए बड़ा कुआं,खजुहा रोड,फाटक बाज़ार तहसील रोड ललौली रोड जैसे प्रमुख रास्तों से होते हुए पुनः वापसी के रास्ते से बिन्दकी मदरसा फ़ैज़ उल उलूम में इसका समापन किया गया। तो वहीं बिन्दकी नगर के समाजवादी पार्टी से भावी उम्मीदवार सन्दीप गुप्ता ने जुलूस में शामिल लोगों को माला व शॉल पहनाकर इस्तेकबाल किया साथ ही खजुहा चौराहे पर बून्दी व अन्य लंगर का एहतिमाम भी किया आज इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए खास दिन है। दुनिया भर में आज यानी 9 अक्टूबर को ईद ए मिलाद उन नबी का पर्व मनाया जा रहा है। ईद-ए-मिलाद का पर्व इस्लाम धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को अल्लाह की इबादत का खास मौका माना जाता है। लोग घरों और मस्जिदों में पवित्र कुरान पढ़ते है। जुलूस निकालते हैं और दान व जकात करते हैं। नमाज और मोहम्मद साहब के संदेशों को पढ़ने के साथ ही लोगों को दान दिया जाता है। कहते हैं कि इस दिन कुरान के पाठ से अल्लाह की रहमत बरसती है। ईद ए मिलाद पैग़म्बर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जुड़ा पर्व है। चलिए जानते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के इतिहास और महत्व के बारे में। कैसे और क्यों मनाते हैं ईद ए मिलाद का पर्व।

कब मनाते हैं ईद ए मिलाद उन नबी-

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ईद ए मिलाद उन नबी को रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। इस बार 9 अक्टूबर 2022 को ईद ए मिलाद उन नबी का पर्व मनाया जा रहा है।

क्यों मनाते हैं ईद ए मिलाद-

नाम से ही इस पर्व को मनाए जाने का कारण स्पष्ट होता है। अरबी भाषा में इसका अर्थ है ‘जन्म’ और मिलाद उन नबी का अर्थ है ‘हजरत मुहम्मद साहब का जन्म’। यानी माना जाता है कि इसी दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए ये काफी बड़ा पर्व है लेकिन इस्लाम में इस पर्व को लेकर मतभेद भी है। इस मौके पर मौलाना शिफात साहब,हाफिज इरफान साहब,हाफिज व कारी सादिक साहबहाफिज दानिश,हफीज सलीम,हाफिज साकिब,हाफिज अकरम,हाफिज फ़ैज़,शोएफ रहमान कुरैशी व समाजवादी पार्टी के भावी उम्मीदवार सन्दीप गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।

Author: aman yatra

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