बिहार इलेक्शन : परिवार की राजनीतिक विरासत बचाने मैदान में उतरी कहीं बहू, तो कहीं बेटियां
पिता की विरासत संभाल रही है कोमल सिंह
इस चुनाव में युवा चेहरों में एक चेहरा है कोमल सिंह का मुजफ्फरपुर से गायघाट सीट पर एलजेपी से मैदान में है एमबीए में पीजी की डिग्री धारक है कोमल और राजनीति विरासत में मिली है पिता दिनेश प्रसाद सिंह जो जदयू के विधान पार्षद है उनसे वही मां वीणा देवी वैशाली से एलजेपी सांसद पिछले लोकसभा चुनाव में मां के प्रचार का कमान कोमल ने संभाला था.
गौड़ा बौराम और बाबूबरही में बहू ने संभाली कमान
उत्तर बिहार की दो बहू ने ससुर की राजनीतिक विरासत को संभालने का बीड़ा उठाया है इनमें मधुबनी के बाबूबरही सीट से मीना कुमारी जो जदयू के उम्मीदवार है इनके ससुर पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत थे ससुर की अस्वस्थता को देखते हुए पार्टी ने इन्हें सिंबल दिया था इसी बीच मंत्री जी का निधन भी हो गया.
गौड़ा बौराम से स्वर्णा के कंधों पर विरासत संभालने की जिम्मेदारी
दरभंगा की गौड़ा बौराम सीट से स्वर्णा सिंह ने ससुर की राजनीतिक विरासत को जिंदा रखने के लिए मैदान में आकर विरासत को संभाला है. बीजेपी के विधान पार्षद रहे सुनील सिंह के अधूरे कारण कामों को पूरा करने की सोच के साथ चुनाव लड़ नहीं है अब कितना सफल हो पाएंगे यह तो चुनावी के बाद ही पता चलेगा
बिस्फी और बांकीपुर से पुष्पम प्रिया
द प्लुरल पार्टी की प्रमुख और मुख्यमंत्री के स्वघोषित उम्मीदवार पुष्पम प्रिया भी पिता की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं जेडी यू के विधान परिषद रहे पिता विनोद कुमार चौधरी की पार्टी को इस चुनावी मैदान में इस बार मधुबनी के व्हिस्की और पटना के बांकीपुर सीट से चुनाव मैं टक्कर दे रही है .
रमई राम की बेटी बीएसपी की सीट से मैदान में
आरजेडी के कद्दावर नेता रमई राम की बेटी डॉक्टर गीता देवी भी इस बार चुनावी मैदान में है चुनावी जमीन को तलाश रही गीता अपने पिता की सीट और पार्टी से नहीं चुनी गई इसलिए रमई राम वोचाहा से उम्मीदवार हुआ करते थे तो गीता सकरा से चुनाव लड़ रही हैं बसपा पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रही गीता इस बार रमई राम भी अंतिम राजनीतिक पारी खेल रहे हैं.
कांग्रेस की टिकट पर शरद यादव की बेटी
बिहार के बड़े नेता शरद यादव की बेटी सुहासिनी कांग्रेस के टिकट पर मधेपुरा से बिहारीगंज से चुनावी मैदान में है इस सीट पर पिछले दो चुनाव में जेडीयू का कब जा रहा है लेकिन सुभाषिनी के आने के बाद मुकाबला यहां का दिलचस्प हो गया है मधेपुरा से शरद यादव का पुराना कनेक्शन और यहां से वह चार बार सांसद चुने गए है.