कानपुर देहात

बेटे ने ही पत्नी और दोस्त संग मिलकर की थी कारोबारी पिता की हत्या

मैं अपनी बहन को बिलकुल मारना नहीं चाहता था।वो बेचारी तो पापा को बचाने आई और मारी गई।बचाव के समय उसके हांथ पैर में चोट लग गई थी।ये कहना है अपने कारोबारी पिता योगेश चंद्र को मारने वाले आरोपी बेटे इशांक का।

अमरोहा/पुखरायां। मैं अपनी बहन को बिलकुल मारना नहीं चाहता था।वो बेचारी तो पापा को बचाने आई और मारी गई।बचाव के समय उसके हांथ पैर में चोट लग गई थी।ये कहना है अपने कारोबारी पिता योगेश चंद्र को मारने वाले आरोपी बेटे इशांक का।इस हत्याकांड में इशांक की पत्नी मानसी और उसका दोस्त अनिल भी शामिल था।

पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है।अमरोहा के शहर कोतवाली इलाके के कटरा गुलाम अली मोहल्ले में 9 फरवरी की देर रात घर के अंदर डबल मर्डर हुआ था।ये मर्डर अपने क्षेत्र के मशहूर सोना कारोबारी योगेश चन्द्र 67 और उनकी गोद ली हुई बेटी श्रष्टि 27 का था।योगेश उधोग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष और आरएसएस की संस्था सेवा भारती के नगर अध्यक्ष भी थे।योगेश की पत्नी की मौत तीन साल पहले ही हो चुकी है।इस मर्डर के खुलासे ने पुलिस को भी चौंका दिया।

पुलिस ने देर शाम इस घटना का खुलासा किया है।पुलिस का कहना है कि हत्याकांड के बाद मौके पर पहुंचते ही हमारा शक योगेश पर चला गया था।हमें ये बात हजम नही हो रही थी कि कैसे दो लोगों को घर के अंदर मार दिया गया और इशांक उसकी पत्नी सोते रहे।ऊपर से घर में लगे सभी 15 सीसीटीवी कैमरे एकसाथ कैसे खराब हो गए।हालांकि पूंछतांछ में हमें सारे सवालों का जवाब मिल गया।पुलिस की पूंछतांछ में इशांक ने बताया कि मेरे पिता और मेरे बीच कभी संबंध अच्छे नहीं रहे।वो मुझे ज्यादा पसंद नही करते थे।जब उन्होंने श्रष्टि को गोद लिया था तो मुझे बुरा लगा,लेकिन फिर कुछ दिन बाद सब सही हो गया था।मुझे लगता था ये तो वैसे भी शादी करके घर चली जायेगी।इसको कौन सा प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलना है।ये बात सोचकर मैं खुश रहता था लेकिन मेरे पापा मुझसे ज्यादा उसको चाहते थे।इस बात का मुझे दुख था।फिर मेरी शादी हुई तो पापा मेरी पत्नी से भी सही से पेश नहीं आते थे।ये बातें मुझे बहुत बुरी लगती थीं।फिर साल 2016 में मां की कोरोना में मौत हो गई तो लगा अब घर में अपना कुछ भी नहीं बचा है।

मैने दिल्ली में अपना गत्ता का बिजनेस शुरू कर दिया और पत्नी मानसी के साथ वहीं शिफ्ट हो गया।लेकिन मैं फिर भी घर आता रहता था।समय निकल रहा था लेकिन पापा का व्यवहार वैसा का वैसा ही था।फिर मुझे ये भी पता चला कि पापा की हरकतें बहुत गंदी हो गई है।वो घर में औरतों को बुलाते है।यहां तक कि उन्होंने पेपर में शादी का विज्ञापन भी छपवाया है।इन सब चीजों से परेशान होकर मैने प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा मांगा।लेकिन उन्होंने मुझे कुछ भी देने से मना कर दिया।धीरे धीरे मुझे पापा की हरकतों पर गुस्सा आने लगा।मैं समझ नहीं पाता था कि वो मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं।इन्हीं बातों से परेशान होकर मैने एक महीने पहले ही उनकी हत्या करने का प्लान बनाया।इस बार जब हम लोग दिल्ली से अमरोहा आए तो सोचकर ही आए थे कि इस बार पापा को मारकर ही जायेंगे।इस काम के लिए मैने साथ में काम करने वाले अनिल को भी तैयार किया और मैं और मानसी अमरोहा आ गए।एक हफ्ते तक पूरा माहौल समझा।फिर अनिल का भी अमरोहा का टिकट करवा दिया।अब हम लोग बस मौके का इंतजार कर रहे थे।9 फरबरी का दिन हम लोगों को इस काम के लिए सही लगा।हम लोगों ने रोज की तरह साथ बैठकर खाना खाया।पापा श्रष्टि नीचे रहते थे।मेरा मानसी का कमरा ऊपर था।खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में चले गए।हम लोगों ने घर में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे पहले ही खराब कर दिए थे और इस बात का जिक्र पापा के सामने नहीं किया था।रात को मैं पहले नीचे आया और चेक किया कि पापा क्या कर रहे हैं।वो रूम में गहरी नींद में सो रहे थे।उसके बाद मैने मानसी को अनिल को फोन करने के लिए कहा।

अनिल ही दरांती और सेनेटाइजर की बोतल लेके आया था।हमने सेनेटाइजर खून साफ करने के लिए मंगवाया था।अनिल को घर लेने के बाद हम तीनो पापा के कमरे में आए।हमने पापा का मुंह दबाया लेकिन उनके हाथ पैर चलाने की वजह से मेज पर रखा सामान गिर गया।जिसकी वजह से श्रष्टि उठ गई।हम लोग पापा को मारने वाले थे कि तभी श्रष्टि कमरे में आ गई।वो हमें रोकने लगी।अनिल ने उसका मुंह दबाया।मैने पापा की गर्दन रेत कर हत्या कर दी।वो पापा को बचा रही थी इसलिए उसको भी चोट आई।पापा के मरने के बाद मैने उसको बहुत समझाया लेकिन वह नहीं मानी।इसलिए उसकी भी हत्या कर दी।दोनों के मरने के बाद हमने उनके जेवर निकाले।उसके बाद हम लोगों ने पापा श्रष्टि की लाश को जमीन पर लिटा दिया।और वहां पड़ा खून सेनेटाइजर से साफ किया।लूट दिखाने के लिए उनके रूम के सारे कपड़े नीचे गिरा दिए।एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने बताया कि घर में मिली हर एक चीज बता रही थी कि इस घटना में कोई एक करीबी शामिल है।अगर घर में कोई लूट करने के लिए घुसा तो इशांक मानसी का कमरा क्यों छोड़ दिया।जमीन से खून के निशान पोंछे गए थे।जिससे साफ पता चल रहा था कि जो खून करेगा वो जगह जगह पोंछा क्यों लगाएगा।वाशिंग मशीन में खून लगा था।फिर हमे छत पर मिट्टी पड़ी मिली।हम लोगों ने घर के पीछे चेक किया तो सेनेटाइजर की पिपिया पड़ी हुई थी।

ये सब चीजें बता रहीं थीं कि मामला कुछ और है।जब हमने घर की तलाशी ली तो मानसी और इशांक के गीले कपड़े एक पन्नी में बंधे मिले।जिसने हमारे शक को और बढ़ा दिया था।अब सब कुछ शीशे की तरह साफ हो गया था।सख्ती से पूंछतांछ के बाद इशांक ने सारा सच कुबूल कर लिया।हमने सारा सामान भी बरामद कर लिया।आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

Author: aman yatra

aman yatra

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