बेरोजगारी के दलदल में युवा रहे हैं हाँफ
वर्तमान में बेरोजगारी समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है जो सम्पूर्ण देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन को दूषित कर देता है। अत: उसके कारणों को खोजकर उनका निराकरण किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।

- बेरोजगारी समाज के लिए बन गया है अभिशाप
लखनऊ/ कानपुर देहात। वर्तमान में बेरोजगारी समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है जो सम्पूर्ण देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन को दूषित कर देता है। अत: उसके कारणों को खोजकर उनका निराकरण किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में विभिन्न विभागों में भर्तियां ना निकलने की वजह से बेरोजगारों की संख्या बेहतासा बढ़ती जा रही है। अगर बेसिक शिक्षा विभाग की बात करें तो 4 वर्ष से ऊपर बीत गए लेकिन एक भी भर्ती विज्ञापन जारी नहीं हुआ है जबकि हजारों की संख्या में रिक्त पद हैं। प्राथमिक शिक्षक भर्ती के आस में एक एक बेरोजगार की हिम्मत दम तोड़ती प्रतीत हो रही है क्योंकि प्राथमिक शिक्षक भर्ती का एक भी विज्ञापन अभी तक जारी नहीं हुआ है। बीटीसी प्रशिक्षु केवल प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए ही वैध होते हैं वहीं बीएड अभ्यर्थी प्राथमिक शिक्षक भर्ती के साथ-साथ टीजीटी, पीजीटी, बीईओ एवं अन्य पदों के लिए भी वैध रहते हैं। बीटीसी अथवा डीएलएड अभ्यर्थी के सामने रोजगार का बड़ा सवाल है क्योंकि प्राथमिक विद्यालय का विज्ञापन अनुपात समानुपात एवं सरप्लस शिक्षकों के चक्कर में फस गया है। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो प्राथमिक विद्यालय में 173795 आरटीआई 2019 के आंकड़ों के तहत पोस्ट खाली हैं एवं पीएबी की रिपोर्ट के अनुसार 126028 पद प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के रिक्त हैं। अगर आरटीआई 2009 अनुसार देखा जाये 30 छात्र पर 1 शिक्षक होना चाहिए लेकिन इस समय 37 छात्र पर 1 शिक्षक है। अनुपात समानुपात बराबर है या नहीं निश्चित आंकड़ा कार्मिक विभाग के पास नहीं है। समस्या सबसे जटिल यह है कि 2015 से प्राथमिक विद्यालय में पदों का परिसीमन न होने की वजह से हर वर्ष कितने शिक्षक रिटायर हो रहे हैं इसका डाटा नहीं मिल रहा है। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कथन है अनुपात एवं समानुपात के बाद रिक्त सीट जो होंगी उस पर विज्ञापन जारी किया जाएगा लेकिन यह कब तक होगा इसका समय निर्धारित नहीं है। 69000 शिक्षक भर्ती के समय उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि 51112 पद सहायक शिक्षकों के रिक्त हैं। इन पदों पर शिक्षामित्रों को राहत देते हुए जल्द विज्ञापन जारी होगा लेकिन वह भी अभी तक नही हुआ।यह पद कहां गये और इन पदों पर भर्ती क्यों नहीं हुई इस विषय पर उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग मौन है। उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग के पास कोई आंकड़ा नहीं है कितने पद सहायक अध्यापक के प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त हैं। ऐसे ही चलता रहा तो बेरोजगारी की स्थिति विकराल रूप धारण कर लेगी। टेट एवं सीटेट का आयोजन हर वर्ष समय समय पर हो रहा है लेकिन प्राथमिक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया न होने कि वजह से बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ती जा रही है। बेरोजगार युवकों का कहना है कि सरकार रिक्त पदों के सापेक्ष नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जल्द से जल्द जारी करे जिससे योग्य बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके।
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