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बेसिक शिक्षा विभाग- तुम करो तो रासलीला, हम करे तो कैरेक्टर ढीला

बेसिक शिक्षा विभाग की अजब-गजब कार्यप्रणाली को समझना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यह विभाग अपने आदेशों के लिए सदैव ही चर्चित रहता है। इस विभाग में हर समय हथेली पर आम जमाए जाते हैं किस दिन कौन सा अवकाश निरस्त हो जाए यह स्वयं ही विभाग के अधिकारियों तक को पता नहीं रहता है।

कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग की अजब-गजब कार्यप्रणाली को समझना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यह विभाग अपने आदेशों के लिए सदैव ही चर्चित रहता है। इस विभाग में हर समय हथेली पर आम जमाए जाते हैं किस दिन कौन सा अवकाश निरस्त हो जाए यह स्वयं ही विभाग के अधिकारियों तक को पता नहीं रहता है।

 

अवकाश तालिका के अनुसार तो शिक्षकों को साल में करीब 32 अवकाश दिए जाते हैं लेकिन अगर हकीकत में देखा जाए तो उन्हें 20 अवकाश भी मिल जाए तो बहुत बड़ी बात होगी। इतना ही नहीं इस विभाग के विभागीय अधिकारी स्वयं ही 5 मिनट के कार्य को 5 महीने में कर ले तो बहुत बड़ी बात है लेकिन शिक्षकों से 5 महीने का कार्य 5 मिनट में करवाते हैं। अगर आप बेसिक शिक्षा विभाग के आदेशों को देख लेंगे तो आप मान जाएंगे कि सारे जादुई करिश्में बेसिक शिक्षा विभाग में ही होते हैं। अभी हाल ही में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को ऑनलाइन अटेंडेंस लगाए जाने के निर्देश दिए गए हैं कुछ जिलों में इसके लिए टैबलेट भी वितरित किए गए हैं। टैबलेट से शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी तो मात्र दस दिन में लागू हो गई लेकिन जिले के अंदर तबादले और समायोजन, प्रमोशन का आदेश सवा साल बाद भी नहीं हो सका है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने दस नवंबर को डिजिटल हाजिरी का आदेश जारी किया था। 20 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बाराबंकी, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव व श्रावस्ती में डिजिटल उपस्थिति पंजिका पर हाजिरी लगने लगी। एक दिसंबर से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश के 1.50 लाख से अधिक स्कूलों में लागू हो जाएगी।

 

डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था लागू होने के बाद पांच मिनट की देरी पर भी शिक्षकों की जवाबदेही तय होगी। इस बीच परिषदीय स्कूल के शिक्षकों का जिले के अंदर सवा साल बाद भी स्थानान्तरण और समायोजन न होने से नाराजगी बढ़ने लगी है। पिछले साल 27 जुलाई 2022 को जब स्थानान्तरण और समायोजन के लिए शासनादेश जारी हुआ था तो शिक्षकों को उम्मीद जगी कि रोजाना 70-80 किलोमीटर दूरी के चक्कर लगाने से थोड़ी राहत मिलेगी। शासनादेश के अनुसार जिलों में सरप्लस शिक्षकों को चिह्नित करते हुए आरटीई के अनुसार आवश्यकता वाले स्कूलों में भेजना था। इसके लिए दस दिन में पोर्टल खुलना था लेकिन बार-बार शासनादेश में परिवर्तन और शिक्षकों के डेटा संशोधन के नाम पर प्रक्रिया सवा साल से लटकी हुई है जबकि अध्यापक तैनाती नियमावली के अनुसार जिले के अंदर पिछड़े ब्लॉक में तैनाती के पांच वर्ष पूरा करने वाले पुरुष व दो वर्ष पूरे करने वाली शिक्षिकाओं का तबादला होना चाहिए। अगर शिक्षकों के प्रमोशन प्रक्रिया की बात की जाए तो 9 सालों से शिक्षकों के प्रमोशन नहीं हुए हैं विभाग 1 साल से पदोन्नति सूची ही बना रहा है। मतलब साफ है कि स्वयं अगर किसी कार्य को करने में वर्षों लगा दें तो सब अच्छा है और अगर शिक्षक 5 मिनट भी लेट हो जाए तो उसका वेतन रोक दिया जाएगा।
हाजिरी डिजिटल रास्ते क्रिटिकल टैग से शिक्षक चला रहे हैं अभियान-
डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था लागू होने के बाद से परिषदीय शिक्षकों में बेचैनी है। सोशल प्लेटफॉर्म पर उपस्थिति को लेकर शिक्षकों ने एक अभियान छेड़ रखा है। हाजिरी डिजिटल, रास्ते क्रिटिकल नाम से अभियान चलाकर रास्तों की दुश्वारियां साझा कर रहे हैं।
क्‍या बोले शिक्षक-
शिक्षकों का कहना है कि सबसे पहले अधिकारियों की ऑनलाइन हाजिरी हो इसके बाद ही शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी लगाएंगे। उनका यह भी कहना है कि दूर दराज क्षेत्र के स्कूलों में रियल टाइम अटेंडेंस लेना संभव ही नहीं है। गांव में नेटवर्क की समस्या काफी बड़ी है। आए दिन शिक्षकों का इससे शोषण होगा। एक साल से शिक्षकों के जिले के अंदर तबादले की प्रक्रिया चल रही है। पदोन्नति भी फंसी हुई है। जिले के अंदर शिक्षकों के 2017 से लंबित ओपन ट्रांसफर को जल्द शुरू करना चाहिए। ऑनलाइन हाजिरी के पूर्व सरकार को शिक्षकों के गृह ब्लॉक या उसके आसपास तैनाती देनी चाहिए। नियमावली के अनुसार पति-पत्नी यानी दंपति शिक्षक को एक ब्लॉक में तैनाती देनी चाहिए। सभी स्कूलों में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति अनिवार्य रूप से करनी चाहिए। प्रमोशन की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूर्ण की जानी चाहिए। पहले शिक्षकों को उनका हक दिया जाना चाहिए फिर ऑनलाइन हाजिरी प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

Author: aman yatra

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