बैंक डूबने पर भी महफूज रहेगा आपका पैसा, प्रधानमंत्री मोदी बोले- पहले बैंक में जमा 1 लाख रु. ही सुरक्षित था, अब हमने इसे बढ़ाकर 5 लाख किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'डिपॉजिटर्स फर्स्ट : गारंटी टाइम बाउंड डिपॉजिट इंश्योरेंस पेमेंट अप टू 5 लाख रुपए' प्रोग्राम को संबोधित किया। इस दौरान PM मोदी ने बताया कि ऐसे डिपॉजिटर्स जिनका पैसा बैंकों में फंस गया था उन्हें कुल 1300 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
नई दिल्ली ,अमन यात्रा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘डिपॉजिटर्स फर्स्ट : गारंटी टाइम बाउंड डिपॉजिट इंश्योरेंस पेमेंट अप टू 5 लाख रुपए’ प्रोग्राम को संबोधित किया। इस दौरान PM मोदी ने बताया कि ऐसे डिपॉजिटर्स जिनका पैसा बैंकों में फंस गया था उन्हें कुल 1300 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। कार्यक्रम में PM मोदी डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) एक्ट के तहत बैंक में जमा पर मिलने वाली 5 लाख रुपए की गारंटी के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री और RBI गवर्नर भी मौजूद रहे।
विज्ञान भवन में हुए प्रोग्राम में उन्होंने कहां कि कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके ही उन्हें विकराल होने से बचा सकता है। लेकिन सालों तक एक प्रवृत्ति रही की समस्याओं को टाल दो। आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर लगाता है, आज भारत समस्याओं को टालता नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में बैंक डिपॉजिटर्स के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी। फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था। यानी अगर बैंक डूबा, तो जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलने का प्रावधान था। ये पैसे भी कब मिलेंगे, इसकी कोई समय सीमा नहीं तय थी। गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख रुपए कर दिया। इसके अलावा बैंक डूबने के 90 दिनों के अंदर ये पैसा देना होगा।
पहले गरीब आदमी का ऐसा मानना था कि बैंक में खाता तो बड़े लोग खोलते हैं और लोन भी बड़े लोगों को ही लोन मिलता है। लेकिन जनधन योजना और स्ट्रीट वेंडर लोन योजना ने इस धारणा को बदल दिया है। जनधन योजना के तहत खुले करोड़ों बैंक अकाउंट्स में से आधे से अधिक महिलाओं के हैं। इन बैंक अकाउंट्स का महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जो असर हुआ है।
बीते सालों में अनेक छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मर्ज करके, उनकी कैपेसिटी, कैपेबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी, हर प्रकार से सशक्त की गई है। जब RBI, को-ऑपरेटिव बैंकों की निगरानी करेगा तो, उससे भी इनके प्रति सामान्य जमाकर्ता का भरोसा और बढ़ेगा।
देश की समृद्धि में बैंकों की बड़ी भूमिका है। और बैंकों की समृद्धि के लिए जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित होना उतना ही जरूरी है। हमें बैंक बचाने हैं तो Depositors को सुरक्षा देनी ही होगी।
आज भारत का सामान्य नागरिक कभी भी, कहीं भी, सातों दिन, 24 घंटे, छोटे से छोटा लेनदेन भी डिजिटली कर पा रहा है। कुछ साल पहले तक इस बारे में सोचना तो दूर, भारत के सामर्थ्य पर अविश्वास करने वाले लोग इसका मज़ाक उड़ाते फिरते थे।
हमारे यहां समस्या सिर्फ बैंक अकाउंट की ही नहीं थी, बल्कि दूर-सुदूर तक गांवों में बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की भी थी। आज देश के करीब-करीब हर गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट की सुविधा पहुंच चुकी है।
DICGC एक्ट में इस बदलाव को शामिल किए जाने पर डिपॉजिटर को बड़ी आसानी होगी, क्योंकि उन्हें तय समय में अपना 5 लाख रुपए तक का डिपॉजिट वापस मिल जाएगा। बैंक के फेल होने की सूरत में DICGC के कवर के हिसाब से डिपॉजिटर को उनका पैसा तय समय के भीतर आसानी से मिल जाएगा। बजट में ऐलान किया था कि बैंकों में जमा 5 लाख रुपए की रकम अब DICGC एक्ट के तहत सिक्योर्ड रहेगी।