भगवान परशुराम के एक हाथ के हाथ में शस्त्र और दूसरे में शास्त्र शोभित था — महंत देवनारायण दास
भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के अवसर पर श्री राम जानकी आश्रम गौरियापुर के महंत 1008 देवनारायण दास वेदांताचार्य ने कहा कि भगवान परशुराम एक हाथ में शस्त्र और दूसरे हाथ में शास्त्र रखकर समाज की सुरक्षा का दायित्व निभाते थे।श्री महंत आज अकबरपुर रूरा रोड स्थित शांति उपवन में आयोजित विप्र समाज एवं वयोवृद्ध सम्मान समारोह का आयोजन किया गया

- एक सैकड़ा ब्राम्हणों को किया गया सम्मानित
सुशील त्रिवेदी। भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के अवसर पर श्री राम जानकी आश्रम गौरियापुर के महंत 1008 देवनारायण दास वेदांताचार्य ने कहा कि भगवान परशुराम एक हाथ में शस्त्र और दूसरे हाथ में शास्त्र रखकर समाज की सुरक्षा का दायित्व निभाते थे।श्री महंत आज अकबरपुर रूरा रोड स्थित शांति उपवन में आयोजित विप्र समाज एवं वयोवृद्ध सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम मेः अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री महंत ने कहा कि भगवान परशुराम ने समाज के लिए संघर्ष करते हुए एक नई दिशा देने का काम किया।
उन्होंने कहा कि राम को भगवान राम की संज्ञा प्रदान करने के लिए अपना विशेष योगदान दिया।ज्ञातव्य है कि राम तभी राम बन सके जब भगवान परशुराम ने उन्हें उनकी पहचान दी।इस अवसर पर राम मनोहर मिश्र,राकेश बाबू पाठक, भूदेव त्रिपाठी,ब्रम्ह कुमार द्विवेदी,उमेश त्रिवेदी,लक्ष्मीकांत दीक्षित, सत्येंद्र मिश्र,राम किशोर पाण्डेय डेरापुर, कंचन मिश्रा,महेश कुमार दीक्षित, धर्मेन्द्र द्विवेदी,उमंग मिश्र, आदि की उपस्थित रहे।
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