औरैया

भरभरा कर गिरा कच्चा मकान, मासूम समेत सात लोग मलबे में दबे

औरैया जनपद के गड़ा माकनचंद गांव में करीब सौ साल पुराना कच्चा मकान गिर गया। घर में रह रहे मासूम समेत सात लोग मलबे में दब गए। हादसे की जानकारी मिलते ही पहुंचे ग्रामीणों ने घायलों को मलबे से निकालकर उपचार के लिये अस्पताल भेजा

औरैया,अमन यात्रा : जनपद के कोतवाली के गांव गड़ा मानकचंद में करीब सौ साल पुराना कच्चा मकान गिर गया। घर में रह रहे मासूम समेत सात लोग मलबे में दब गए।चीख पुकार सुनकर ग्रामीण दौड़ पड़े और घायलों को मलबों से निकाला। सूचना पर एंबूलेंस भी पहुंची और घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने दो की हालत चिंताजनक देखते हुए सैफई रेफर कर दिया।

ग्राम पड़रिया मौजा का गांव गढ़ा मानिकचंद निवासी 65 वर्षीय शकुंतला देवी पत्नी स्व. वीरेंद्र सिंह सौ साल अधिक समय से कच्चे मकान में निवास कर रही हैं। सोमवार की शाम वह अपने पुत्र 34 वर्षीय शिवपाल सिंह  व पुत्रवधू रूबी तथा उनके बच्चे अर्जुन सिंह, उदय प्रताप, अंश प्रताप, नैनश्री के साथ खाना खाने के बाद कच्चे मकान फूस की छत के नीचे सो गए। 12 बजे अचानक कच्चे मकान की दीवार भरभरा कर गिर पड़ी। जिसमें शकुंतला देवी समेत पूरा परिवार दब गया। चीख- पुकार सुनकर ग्रामीण दौड़े और मकान का मलवा हटाकर सभी को बाहर निकाला। पुलिस को सूचना दी। सूचना पाकर गांव में पहुंची एंबुलेंस ने सभी घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर शकुंतला देवी व शिवपाल सिंह की हालत चिंताजनक देखते हुए सैफई रेफर कर दिया।

पत्नी ने बाली बेंचकर पांच हजार दिए फिर भी नहीं मिला आवास

मकान गिरने के बाद शिवपाल सिंह ने बताया कि उसने अपनी पत्नी के बाली बेचकर पांच हजार रुपये प्रधान को दिए हैं, जबकि प्रधान द्वारा बीस हजार रुपयों की मांग की जा रही है।ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान गरीबों को सता रहे हैं और आवास दिए जाने को लेकर धन उगाही की जा रही है। गढ़ा मानिक चंद निवासी रामबेटी, श्री प्रकाश,राजेंद्र सिंह, प्रेम सिंह, हरी सिंह ने घटना के बाद बताया कि आवास दिए जाने के ऐवज में 2-30 हजार रुपयों की मांग की गई।

पीड़ित को तीन दिन में पहुंचेगी आवास के लिए पहली किस्त

मंगलवार की सुबह होते ही गांव में ब्लाक प्रमुख सौरभ भूषण शर्मा घटनास्थल पर पहुंचे और आवास स्वीकृति तथा तीन दिन में आवास की किस्त पहुंचने की घोषणा की। कहा प्रधान की लापरवाही की भी जांच होगी।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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