मई माह : 1.5 करोड़ से ज्यादा भारतीय को गंवानी पड़ी नौकरी
महामारी का कहर लोगों के पेट पर अब दोगुना असर करने लगा है. इस महामारी के कारण पिछले महीने मई में 1.54 करोड़ भारतीय को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. पिछले एक साल से देश में आर्थिक सुधार पर विराम लगा हुआ है.

नई दिल्ली,अमन यात्रा : महामारी का कहर लोगों के पेट पर अब दोगुना असर करने लगा है. इस महामारी के कारण पिछले महीने मई में 1.54 करोड़ भारतीय को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. पिछले एक साल से देश में आर्थिक सुधार पर विराम लगा हुआ है. वर्तमान बेरोजगारी के आंकड़ों से आगे भी कोई सुधार होने की संभावना नहीं दिख रही है. जुलाई 2020 से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति क्षीण हुई है और अर्थव्यवस्था में सुधार के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं. यह रिपोर्ट Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) द्वारा जारी की गई है.
अवसर की कमी के कारण नौकरी नहीं मिल रही
CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल अप्रैल में 39.7 करोड़ लोगों के पास रोजगार थे लेकिन मई में यह संख्या घटकर 37.5 करोड़ तक पहुंच गई है. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल और मई के दौरान जब कोरोना की दूसरी लहर उफान पर थी तब नौकरियों में भी जबरदस्त कटौती हो रही थी. कई राज्यों द्वारा लॉकडाउन लगाए जाने के बाद इसमें और ज्यादा तेजी आ गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल और मई में सैलरी वाली और बिना सैलरी वाली नौकरी में 2.3 करोड़ की गिरावट आई. ताजा आंकड़ों से पता चला है कि करोड़ों बेरोजगारों में से 5.07 करोड़ लोग सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश कर रहे हैं लेकिन अवसर की कमी के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल रही.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (सीएमआईई) के आकलन के अनुसार बेरोजगारी दर मई में 12 प्रतिशत रही जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी. सीएमआईई के मुताबिक रोजगार जाने का मुख्य कारण कोविड-9 संक्रमण की दूसरी लहर है. जिन लोगों की नौकरी गयी है, उन्हें नया रोजगार तलाशने में दिक्कत हो रही है. असंगठित क्षेत्र में रोजगार तेजी से सृजित होते हैं, लेकिन संगठित क्षेत्र में अच्छी नौकरियों के आने में समय लगता है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ के कारण बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर तक चली गयी थी. कई विशेषज्ञों की राय है कि संक्रमण की दूसरी लहर चरम पर पहुंच चुकी है और अब राज्य धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील देते हुए आर्थिक गतिविधियों की अनुमति देना शुरू करेंगे.
सीएमआई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवार का देशव्यापी सर्वे का काम पूरा किया. इससे पिछले एक साल के दौरान आय सृजन को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आयी है. सर्वे में शामिल परिवार में से केवल 3 प्रतिशत ने आय बढ़ने की बात कही जबकि 55 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आमदनी कम हुई है. सर्वे में 42 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय पिछले साल के बराबर बनी हुई है. उन्होंने कहा कि अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए, हमारा अनुमान है कि देश में 97 प्रतिशत परिवार की आय महामारी के दौरान कम हुई है.
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