G-4NBN9P2G16
राजेश कटियार,कानपुर देहात। मर्जर और पेयरिंग को लेकर चल रही बहस में कुछ लोग इतने लहालोट हैं मानो उन्हें शिक्षक से कोई जन्मजात दुश्मनी हो या वे नीति के आगे आत्मसमर्पण कर देने वाले वेतनभोगी कर्मचारी भर हों। निजी अनुभव, निजी राय और दो-चार गांवों की कहानी सुनाकर नीतिगत निर्णयों को न्यायसंगत ठहराने की कोशिश की जा रही है जो न केवल बौद्धिक आलस्य का परिचायक है बल्कि उस सामाजिक जिम्मेदारी से भी मुंह चुराना है जो शिक्षा जैसे मौलिक अधिकार के प्रति हर संवेदनशील नागरिक की होनी चाहिए।
क्या किसी एक गांव में स्कूल का उपयोग नहीं हुआ तो हम यह मान लें कि अब किसी भी गांव में स्कूल की जरूरत ही नहीं रही? क्या दो चार शिक्षकों और दस बीस स्कूलों के अनुभवों से पूरे प्रदेश के बच्चों की नियति तय की जाएगी अगर ऐसा है तो फिर नीति-निर्माण का काम सोशल मीडिया की दीवारों और व्हाट्सएप चैट पर कर दिया जाए, जनता और संविधान की जरूरत ही क्या है। मुझे यह समझ नहीं आता कि जब देश की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी तब भी आरटीई लागू कर हर गांव तक स्कूल पहुंचाना जरूरी समझा गया और आज जब हम विश्वगुरु बनने की घोषणा करते थकते नहीं, तो उसी गांव से प्राथमिक शिक्षा का अधिकार क्यों छीना जा रहा है। क्या गांव अब शिक्षा के लायक नहीं रहे?
या वहां रहने वाले बच्चे अब शिक्षा के अधिकार के पात्र नहीं हैं? क्या स्कूल के भवन को देखना और शिक्षकों की उपस्थिति पर बहस करना इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि बच्चों की उपस्थिति, उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि और उनके सपनों की कोई कीमत ही न रहे? यह एक गहरी बौद्धिक भ्रांति है कि मर्जर और पेयरिंग से गुणवत्ता आ जाएगी।
गुणवत्ता न नीतियों से आती है न बहस से, वह आती है निरंतरता और भरोसे से। जब आप गांव से स्कूल हटा देते हैं तो आप वहां के बच्चों से यह भरोसा भी छीन लेते हैं कि इस देश में उनके लिए भी कोई शिक्षा की जगह है। यह केवल व्यवस्था की विफलता नहीं है, यह उस सामाजिक न्याय के विचार पर भी सीधा प्रहार है जिसे संविधान की मूल आत्मा कहा गया है इसलिए मर्जर और पेयरिंग की अंधभक्ति में लिप्त लोगों से सिर्फ यही कहा जा सकता है आपके निजी अनुभव आपके हों पर कृपया पूरे देश की शिक्षा का भविष्य उनके भरोसे मत तय करिए। यह किसी व्यक्तिगत प्रयोगशाला का मामला नहीं बल्कि लाखों बच्चों की जिंदगी का सवाल है जो केवल सरकारी कागजों में नामांकित नहीं हैं बल्कि सपनों में इनरोल्ड हैं।
अमन यात्रा ब्यूरो, कानपुर देहात। पुलिस अधीक्षक श्रद्धा नरेंद्र पांडे ने जनपद कानपुर देहात में कानून व्यवस्था के कुशल संचालन… Read More
पुखरायां।कानपुर देहात के रसूलाबाद थाना क्षेत्र के रतनपुर में रिंद नदी में बीते शनिवार को नहाते समय डूबे एक किशोर… Read More
हत्या के बाद लक्ष्मी ने बच्चों के सामने कहा, “पापा नशे में मारपीट करते थे, उनका मरना जरूरी था।” कानपुर।… Read More
कानपुर देहात के शिवली थाना क्षेत्र के ज्योति गांव में बीती शनिवार की शाम दो पक्षों के बीच मामूली विवाद… Read More
कानपुर देहात के राजपुर थाना क्षेत्र के जैनपुर नहर में रविवार को एक अज्ञात शव मिला है। सूचना पर पहुंची… Read More
कानपुर देहात। अंडरलोड गाड़ियां चलाने की अपनी मुख्य मांग को लेकर कानपुर देहात समेत कई जिलों की ट्रक यूनियनों के… Read More
This website uses cookies.