ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से डीजल पर वैट और एक्साइज ड्यूटी कम करने की मांग की है. उनका कहना है कि जीएसटी के दायरे में लाया जाए. डीजल की प्राइस रिव्यू रोज नहीं एक पखवाड़े में हो. हालांकि पीएम ने डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के संकेत दिए हैं. लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि इतनी जल्दी इस पर अमल होगा. पिछले डेढ़ महीने में डीजल के दाम में लगभग 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पेट्रोल के दाम इससे कहीं ज्यादा बढ़े हैं. चूंकि माल ढोने वाले ट्रक डीजल से चलते हैं इसलिए महंगे ईंधन से रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ गई है. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर डीजल की कीमतें 20 फीसदी तक नहीं घटी तो लागतों को काबू करना मुश्किल होगा.
डीजल के दाम नहीं घटे तो महंगाई होगी बेकाबू
विश्लेषकों का कहना है कि अगर डीजल के दाम नहीं घटे तो न सिर्फ खाने-पीने की चीजें महंगी होगी बल्कि इससे जीडीपी ग्रोथ को भी नुकसान पहुंचेगा. उनका कहना है कि इस वक्त खुदरा महंगाई को काबू करना बेहद जरूरी है. अभी महंगाई नियंत्रण में है लेकिन पेट्रोल-डीजल महंगा होने से महंगाई बढ़ेगी और इसे काबू करना मुश्किल होगा. खुदरा महंगाई पर नियंत्रण न होने से इसका असर इकोनॉमी के सभी सेक्टरों पर पड़ेगा.
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