महाराणा का जीवन हम सबके लिए अनुकरणीय: डॉ. हरेश प्रताप सिंह
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में सोमवार को आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया,
- आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत सीएसजेएमयू के पत्रकारिता विभाग में विचार गोष्ठी
कानपुर,अमन यात्रा । छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में सोमवार को आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय राष्ट्र नायक के रूप में महाराणा प्रताप की भूमिका था। विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ. हरेश प्रताप सिंह शामिल हुए। मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी एवं विशिष्ट अतिथि लोक पहल के संयोजक डॉ. विजय कुमार सिंह रहे। अध्यक्षता स्कूल ऑफ आर्ट्स, ह्यूमनिटीज एण्ड सोशल सांइसेज के निदेशक प्रो. संदीप कुमार सिंह ने की। दीनदयाल सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित फोटो वॉक प्रतियोगिता के विजेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।
मुख्य वक्ता डॉ. हरेश प्रताप सिंह ने कहा कि युवा शौर्य के प्रतीक महाराणा का जीवन हम सभी के लिए अनुकरणीय होना चाहिये। राष्ट्र एक सांस्कृतिक इकाई है और इसे अक्षुण्ण बनाये रखने की हम सभी की जिम्मेदारी है। हमारे जीवन में दया और दान भावना की हमेशा जगह होनी चाहिये तभी हम देश और समाज के लिए कुछ कर सकने में सक्षम होंगे। हमारे पास जो धन, विद्या और समय है, उसका सदुपयोग करते हुए लोगों की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहिये।
विशिष्ट अतिथि स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्र विचार प्रमुख डॉ. विजय कुमार सिंह ने कहा कि हमें इतिहास से सीखने की जरूरत है। हमारे बीच में महाराणा भी हैं और मान सिंह भी। हमें यह करना है कि हमारे आदर्श कौन है? अपने मन को सत्ता लोलुप न बनाकर उसे कर्तव्यनिष्ठ और संस्कारी बनाने की आवश्यकता है। तभी महाराणा के राष्ट्र निर्माण के सपने को फलीभूत किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि जब-जब देश पर दुश्मनों ने हमला किया, हम बंटे रहे। इसका नतीजा हमारे सामने है कि हम पराजित हुए। जीत का एक ही मंत्र है एकजुटता। इसे बरकरार रखकर राष्ट्र और समाज को नई उंचाईयों पर पहुंचाया जा सकता है। महाराणा प्रताप जननायक थे, उन्होंने राजसत्ता का सुख नहीं भोगा, बल्कि स्वाभिमानी बनकर समाज की अस्मिता को अक्षुण्ण रखने की लड़ाई लड़ी। हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. संदीप कुमार सिंह ने महाराणा के जीवन दर्शन से मिलने वाली सीख का जिक्र किया। उन्होंने महाराणा प्रताप की वीरता के साथ-साथ समाज के साथ उनके व्यवहार और उनके रहन-सहन पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर वीर रस के कवि मुकेश श्रीवास्तव की महाराणा पर स्वरचित कविता ने पूरे सभागार की तालियों बटोरी।
कार्यक्रम में फोटो वॉक प्रतियोगिता के विजेताओं, पत्रकारिता विभाग के छात्र सुरेन्द्र मौर्या को प्रथम पुरस्कार, दीपांशु साहू को द्वितीय पुरस्कार और हिमांशु मिश्रा को तृतीय पुरस्कार के लिए स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। रिया मिश्रा और शुभी सक्सेना को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन और पत्रकारिता विभाग द्वारा निर्मित महाराणा प्रताप के जीवन पर आधारित वृतचित्र का प्रदर्शन से हुई। अतिथियों का परिचय एवं स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. योगेन्द्र कुमार पाण्डेय ने किया। विषय की रूपरेखा कार्यक्रम संयोजक डॉ. ओम शंकर गुप्ता ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ. दिवाकर अवस्थी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने किया।
इस अवसर पर विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. जितेन्द्र डबराल, डॉ. रश्मि गौतम, दीनदयाल शोध केन्द्र के शोध सहायक डॉ. मनीष द्विवेदी, प्रेम किशोर शुक्ला, सागर कन्नौजिया, मीडिया टीम से शुभा सिंह, आदित्य सिंह, रोहित, शुभम, रतन कुशवाहा समेत बहुत से छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।