कविता
मां लौटकर आयेगी पर आस नहीं है आने की :अमन मिश्रा

मां की यादें
मां लौटकर आयेगी पर आस नहीं है आने की!
अब तो आदत हो गई है रोकर तन्हा सो जाने की !!
आपके जाने के बाद यह घर नहीं, खाली मकान सा लगता है
न जाने क्यों अब अपना ही घर, मुझे अनजान सा लगता है !!
आप तो मेरे हर मर्ज की दवा बन जाती थीं!!
कभी डांटती थीं तो कभी गले लगा लेती थीं!!
छोड़ गई आप अपने पीछे अमिट सी परछाई !!
समझ नहीं पाई दुनिया इस रिश्ते की निश्चल गहराई !!
आप की हर याद मेरे दिल में समाई है !!
आपको याद करके फिर से, आंख मेरी भर आई है !!
छोड़ देते हैं बुढ़ापे में, वह मां तो एक वरदान है!!
न जाने क्यों आज के इंसान इस बात से अनजान है !!
आपका जाना तो बस एक ख्वाब सा लगता है !!
तन्हा रो-रोकर दिल आपके प्यार को तड़पता है।।
– अमन मिश्रा-
(हिंदी विभाग) डीएवी कॉलेज, कानपुर
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