उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूज

कथावाचक ने श्रोताओं को ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई

पुखरायां कस्बे के सुआ बाबा मंदिर परिसर में पुरुषोत्तम मास के पावन अवसर पर बीते गुरुवार से अनवरत चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन शनिवार को आचार्य पंडित विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने श्रोताओं को ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई।

ब्रजेन्द्र तिवारी, पुखरायां। पुखरायां कस्बे के सुआ बाबा मंदिर परिसर में पुरुषोत्तम मास के पावन अवसर पर बीते गुरुवार से अनवरत चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन शनिवार को आचार्य पंडित विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने श्रोताओं को ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई।जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए।शनिवार को कस्बे के सुआ बाबा मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य पंडित विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि महाराज उत्तानपाद की दो रानियां थीं।जिनमें से बड़ी का नाम सुनीति तथा छोटी का नाम सुरुचि था।दोनों रानियों से एक एक संतान की उत्पत्ति हुई।बड़ी रानी सुनीति का पुत्र ध्रुव तथा छोटी रानी सुरुचि का पुत्र उत्तम।अगर हम अध्यात्म विचार से ध्यान दें तो हम सभी जीव उत्तानपाद ही हैं। उत्तानपाद अर्थात जिसके पैर हों नीचे तथा सिर ऊपर।हम सब जब मां के गर्भ में रहते हैं तब उत्तानपाद बनकर ही रहे।प्रहलाद चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा कि प्रहलाद परम भक्त हैं। वे अपने पिता हिरणाकश्यप से कहते हैं कि परमात्मा को जानना,प्राप्त करना इस मनुष्य शरीर से ही संभव है।अन्य योनियों के शरीर से भगवान की प्राप्ति नहीं होती है।अतः मनुष्य शरीर से भगवान की भक्ति करके भगवान को प्राप्त करना चाहिए।कथा को सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए।इस मौके पर माया ओमर,रेखा ओमर,एकता, विनी,पूनम, कामिनी,स्वाति, पुष्पा सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

Print Friendly, PDF & Email
Pranshu Gupta
Author: Pranshu Gupta

Related Articles

AD
Back to top button