मानव संपदा पोर्टल ठप्प, शिक्षक नहीं ले पा रहे ऑनलाइन अवकाश
मानव संपदा पोर्टल शिक्षकों के लिए सिर दर्द बना हुआ है ऐसा इसलिए है क्योंकि शिक्षक मानव संपदा पोर्टल पर छुट्टी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं जिन शिक्षकों के कई कई आकस्मिक अवकाश शेष बचे हुए हैं वे छुट्टी लेना चाह रहे हैं लेकिन मानव संपदा पोर्टल का सर्वर ठप होने की वजह से शुक्रवार से किसी भी प्रकार का कोई भी आवेदन नहीं हो पा रहा है।
- अधिकांश शिक्षक दिसंबर माह में लेते हैं अपने बचे हुए आकस्मिक अवकाश
- एक बार फिर मानव संपदा बनी शिक्षकों के लिए आपदा
- शुक्रवार दोपहर बाद से ऑनलाइन अवकाश लेना हुआ असंभव
- ऐसी विपदा में ऑफलाइन आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने का क्यों नहीं कोई प्राविधान
लखनऊ/ कानपुर देहात- मानव संपदा पोर्टल शिक्षकों के लिए सिर दर्द बना हुआ है ऐसा इसलिए है क्योंकि शिक्षक मानव संपदा पोर्टल पर छुट्टी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं जिन शिक्षकों के कई कई आकस्मिक अवकाश शेष बचे हुए हैं वे छुट्टी लेना चाह रहे हैं लेकिन मानव संपदा पोर्टल का सर्वर ठप होने की वजह से शुक्रवार से किसी भी प्रकार का कोई भी आवेदन नहीं हो पा रहा है। अभी तक इसमें कोई भी सुधार नहीं हो सका है जिससे शिक्षक काफी परेशान एवं अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। शिक्षकों को जनवरी से दिसंबर माह तक कुल 14 अकस्मिक अवकाश मिलते हैं अगर वह इन अवकाश को दिसंबर तक नहीं लेते हैं तो वे स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं जिस कारण से सभी शिक्षक अपने बचे हुए अवकाश दिसंबर माह में लेना चाहते हैं। बता दें वर्तमान में सभी तरह के अवकाश मानव संपदा पोर्टल से ही स्वीकृत किए जाते हैं।
शिक्षकों का कहना है कि ऐसे मामले में सभी जिम्मेदारों खासकर बीएसए / बीईओ को चुप रहने के बजाय ऐसे मामलों को ऑन द रिकार्ड लाना चाहिए और इस विषम जमीनी सच्चाई का उल्लेख करते हुए उच्च स्तर पर सूचना प्रेषण और ऑफलाइन आकस्मिक अवकाश का विकल्प भी उपलब्ध कराना चाहिए।
एनआईसी को भी चाहिए कि अब तक कितनी बार तकनीकी इश्यूज के चलते शिक्षक आकस्मिक अवकाश नहीं ले सके, कितनी बार सर्वर बैठे रहे, कितनी बार ओटीपी या टेंपरेरी पासवर्ड की व्यवस्था फेल रही। इसका भी रिकार्ड पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाए। आखिर लाखों शिक्षकों और कार्मिकों को विकल्पहीनता की स्थिति में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, खासकर तब जब आपका ऑनलाइन सिस्टम फुलप्रूफ न हो। अब जब मानव संपदा पोर्टल काम नहीं कर रहा है तो आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है इसकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।