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मां भारती के जवान सीमा की ओर हो रहे रवाना
परिजनों सहित ग्रामीणों ने माथे पर सिन्दूर लगाकर किया विदा
भावुक क्षणों में लगे भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे
वाराणसी। मिर्ज़ापुर जिले के जमालपुर थाना अंतर्गत पसही ग्राम निवासी सेना के जवान कमलेश कुमार कन्नौजिया सूचना मिलने के बाद सीमा की ओर रवाना हो गए। परिजनों और ग्राम वासियों ने उन्हें गाजे बाजे के साथ देश सेवा के लिए सीमा की ओर रवाना किया। मौके पर मौजूद जनप्रतिनिधियों,ग्रामीणों ने उन्हें सिंदूर लगाकर व फूल माला पहनाकर देश सेवा के लिए रवाना किया।
आपको बता दे कि कमांडो कमलेश कुमार एनएसजी के पूर्व कमांडो रह चुके हैं। तथा वर्तमान समय में पहलगाम सीआरपीएफ कमान में स्पेशल सर्च ऑपरेशन के हेड के पद पर नियुक्त किया गया है। पिछले दिनों पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा कायरना पूर्वक पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाए जाने के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया जा रहा है।जिसको देखते हुए सभी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। तथा उन्हें वापस अपने ग्रुप में तत्काल बुलाया जा रहा है। इसी क्रम में सेना की ओर से देश की रक्षा का बुलावा आने पर कमलेश कुमार शनिवार को पहलगाम के लिए रवाना हो गए।
विदा करते वक्त कमांडो कमलेश कुमार के पिता रामलोचन कनौजिया, भाई जमुना प्रसाद,गुड्डू प्रसाद गर्व का अनुभव कर रहे थे। जवान की पत्नी सोनी तथा माता मुन्नी देवी ने माथे पर सिन्दूर लगाकर व फूल माला के साथ ढोल नगाड़ों के बीच देश सेवा के लिए रवाना कर दिया। इस भावुक अवसर पर परिजनों सहित ग्रामीणों ने भारत माता की जय वंदे मातरम सहित कई गगन भेदी नारे लगाए।
इस अवसर पर भूमि विकास बैंक के एकाउंटेंट अनिल कुमार, पूर्व ब्लाक प्रमुख आनंद सिंह, दिनेश बियार, प्रधानाचार्य विनोद प्रकाश, रामवृक्ष कनौजिया,भूतपूर्व सैनिक अजीत कुमार, जितेंद्र कनौजिया, निरंजन सहित सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
यह एक भावुक और सम्मानजनक दृश्य है। सीआरपीएफ जवान कमलेश कुमार का अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण और उनके परिवार का स्नेह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। 15 वर्षों की सेवा वास्तव में एक लंबा और समर्पित समय है, जिसमें उन्होंने देश की सुरक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पहलगाम में सर्च ऑपरेशन हेड के तौर पर उनकी नियुक्ति उनकी क्षमता और अनुभव का प्रमाण है। उनके क्षेत्र के लोगों और परिवार द्वारा विदाई दी गई, विशेष रूप से घर की महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाना, भारतीय संस्कृति की गहराई और अपने प्रियजनों की सुरक्षा और सफलता के लिए की जाने वाली प्रार्थनाओं को दर्शाता है। यह रस्म न केवल सुरक्षा की कामना करती है बल्कि एक मजबूत भावनात्मक बंधन और आशीर्वाद भी दर्शाती है। उनकी कर्तव्यनिष्ठा और सेवा वास्तव में सराहनीय है, और यह देखकर अच्छा लगा है कि उनके योगदान को उनके समुदाय और परिवार द्वारा मान्यता और सम्मान दिया जा रहा है। लोग उनकी बहादुरी और समर्पण को सलाम कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि उनका मिशन सफल हो।
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