गीत

मिलने का बहाना

नजरें चुरा के जमाने से तुम मिलने आना किसी बहाने से तुम। लोग खड़ी करेंगे दीवार उठाएंगे उंगलियां बेशुमार। जिनको नहीं है तुमसे वास्ता वो रोकेंगे तुम्हारा रास्ता।

नजरें चुरा के जमाने से तुम

मिलने आना किसी बहाने से तुम।

लोग खड़ी करेंगे दीवार

उठाएंगे उंगलियां बेशुमार।

जिनको नहीं है तुमसे वास्ता

वो रोकेंगे तुम्हारा रास्ता।

रुकना नही किसी के रोके जाने से तुम

मिलने आना किसी बहाने से तुम।


नजरें चुरा के……

लोग हजारों मारेंगे ताना

सुनते हुए चुपचाप निकल आना।

ना करना किसी की परवाह

चले आना अपनी राह।

बहुत खुश होगे मुझे पाने से तुम

मिलने आना किसी बहाने से तुम।

नजरें चुरा के ….


तुम्हारे हंसने से बहार आ गई

कुदरत भी करके श्रंगार आ गई।

फूल फूल कलियां कलियां

महकने लगीं गलियां गलियां।

बसंत ला देते हो मुस्कराने से तुम

मिलने आना किसी बहाने से तुम।

नजरें चुरा के जमाने से तुम।

गीतकार अनिल कुमार दोहरे


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