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60 हजार महिलाएं यूक्रेन की आर्मी से जुड़ी, अब करेंगी दो-दो हाथ

पिछले डेढ़ साल से यूक्रेन के हर नागरिक की जिंदगी अनिश्चितताओं में उलझी हुई है. रूस से लड़ रहे इस देश के ज्यादातर लोगों ने युद्ध में अपना कुछ न कुछ गंवाया है. हर नागरिक के दिल में रूस से इंतकाम की आग है.

Story Highlights
  • रूस को मात देने के लिए हजारों यूक्रेनी लड़कियां हथियार उठा चुकी हैं, कड़ी ट्रेनिंग के दौर से गुजर रही हैं और यूक्रेन के अलग-अलग इलाकों में ट्रेनिंग कैंप बनाए गए हैं.

एजेंसी, यूक्रेन :  पिछले डेढ़ साल से यूक्रेन के हर नागरिक की जिंदगी अनिश्चितताओं में उलझी हुई है. रूस से लड़ रहे इस देश के ज्यादातर लोगों ने युद्ध में अपना कुछ न कुछ गंवाया है. हर नागरिक के दिल में रूस से इंतकाम की आग है. यही वजह है कि यूक्रेन की महिलाएं भी युद्ध के बाद से सेना में जुड़ती रही और बहुत तेजी से लेडी आर्मी की संख्या यूक्रेन में बढ़ गई. अपने बच्चों और परिवार को छोड़ कर हजारों महिलाएं इस वक्त रूस को हराने की हसरत लिए हजारों महिलाएं युद्ध के मैदान में हैं. महिलाओं ने इतनी बहादुरी दिखाई है कि अब युद्ध और ब्रिगेड की कमान भी महिलाओं के हाथों में जाने लगी है.

यूक्रेन की वर्दीधारी सैनिकों का अतीत बेहद खूबसूरत और ग्लैमरस था. लेकिन अब इनकी किस्मत में बारूद की महक, जंग के मैदान की धूल और घर के नाम पर जमीन के नीचे बंकर हैं. यूक्रेन की महिला सैनिकों को देखकर यकीन होता है कि वाकई हालात सबुकछ सीखा देता है. इंतकाम का तूफान इंसान से कुछ भी करवा सकता है. अपने परिवार की सलामती के लिए कोई भी महिला किस हद तक जा सकती है, ये यूक्रेन में पिछले डेढ़ बरसों से देखा जा रहा है.

जिन हाथों ने कभी हथियार नहीं छुए, जिन कंधों पर मासूम बच्चे खेलते थे, जिनकी दुनिया फैशन और लग्जरी लाइफ तक सिमटी थी वो आज जंग के मैदान में हैं. डेढ़ सालों में बहादुरी की इतनी मिसाइलें दी जा चुकी हैं कि अब जंग की कमान भी महिलाओं के हाथों में शिफ्ट होने लगी हैं. जेलेंस्की की पत्नी अब कमांडर्स से मुलाकात कर रही हैं. महिला सैनिकों को सैन्य यूनिट का कमांडर बनाया जा रहा है और महिला स्नाइपर्स की नई टुकड़ी बनाई गई है. यूक्रेन लेडी आर्मी से जुड़ी ऐसी कई कहानियां सामने आ चुकी हैं, जिससे जाहिर होता है कि महिलाएं जंग के मोर्चे पर भी पुरुषों से आगे निकल सकती हैं.
यूक्रेन की एवगोनिया एमराल्ड युद्ध से पहले ज्वैलरी के कारोबार से जुड़ी थी, लेकिन अब एमराल्ड एक स्नाइपर बन चुकी है और कई रूसी सैनिकों के सिर और सीने में गोली दाग चुकी है. 31 साल की एमराल्ड अब 3 महीने की बच्ची की देखभाल कर रही है. 2022 में एमराल्ड ने खारकीव के जंगल में 1 सैनिक से शादी की थी. पहली बार किसी दुश्मन की हत्या के लिए गोली चलाने के दौरान एमराल्ड के हाथ पैर कांप रहे थे लेकिन अब यूक्रेन की मीडिया में भी इस लेडी की खूब तारीफ होती है. युद्ध के दौरान ही शादी हुई और मां भी बनी एमराल्ड अपने बच्चे की देखभाल करने के बाद दोबारा जंग के मैदान में लौट जाएगी, ताकि उसका बच्चा, पति और उसका देश महफूज रहे.

जंग में शामिल होने वाली ऐसी कई यूक्रेनी महिलाएं हैं. आंकड़ों के मुताबिक, यूक्रेन के कुल सैनिकों में सिर्फ 15 फीसदी महिला सैनिक हैं. इस वक्त 60 हजार महिलाएं यूक्रेन की आर्मी से जुड़ी हैं. रूसी आक्रमण से पहले यूक्रेन की सेना में 32 हजार फीमेल फाइटर थीं. 42000 महिलाओं की तैनाती अलग-अलग मोर्चे पर है और 5000 महिला सैनिक फ्रंट लाइन पर जान की बाजी लगाकर लड़ रही हैं.
यूक्रेन की आर्मी में सभी ताकतवर पदों पर पुरुषों का कब्जा है. युद्ध से पहले महिला सैनिकों को दफ्तर के छोटे मोटे काम दिए जाते थे, लेकिन युद्ध ने यूक्रेन में हालात को बदला और महिलाओं को जंग में खुद को साबित करने का बेहतरीन मौका दिया. प्रेसिडेंट जेलेंस्की भी अब महिला सैनिकों पर पूरा भरोसा जता रहे हैं. महिलाओं को कमांडर बनाया जा रहा है, वह पुरुषों का नेतृत्व कर रही हैं, युद्ध की रणनीति बना रही हैं और सेना की कई टुकड़ी महिलाओं के हाथों में हैं.

रूस को मात देने के लिए हजारों यूक्रेनी लड़कियां हथियार उठा चुकी हैं, कड़ी ट्रेनिंग के दौर से गुजर रही हैं और यूक्रेन के अलग-अलग इलाकों में ट्रेनिंग कैंप बनाए गए हैं. महिलाओं और लड़कियों की वजह से यूक्रेन के सैनिकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रही है. महिलाएं सेना के हर फील्ड में मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं, आर्टिलरी से लेकर स्नाइपर और ड्रोन से लेकर रॉकेट दागने तक की ट्रेनिंग महिलाओं को दी जा चुकी हैं. इनमें कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने युद्ध में अपने परिवार, पति या दोस्ता को गंवाया है. ज्यादातर महिलाओं के दिल में बदले की तूफान है और ये रूस के सैनिकों को बारूदी प्रहार से भस्म करने की ठान चुकी हैं. अब तक जेलेंस्की का हौसला बढ़ाने वाली उनकी पत्नी भी खुलकर सामने आ चुकी हैं और दुनिया से मदद की अपील करने के साथ ही सेना के कमांडर्स से मिल रही हैं.

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Pranshu Gupta
Author: Pranshu Gupta

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