यूपी : जिले में डीएम की सख्ती ने बदल दी तस्वीर, रिकॉर्ड स्तर पर हुई धान की खरीद

यूपी के पीलीभीत में धान खरीद में सत्ताधारी नेताओं की नहीं चली. 22 हजार किसानों ने MSP पर धान बेचा. जिला अधिकारी पर इतना भरोसा हो गया कि किसान केंद्र पर ही डटे रहे और धान तौलाकर ही दम लिया.

बढ़ी है धान की खरीद
2019-2020 की धान खरीद और 2020-21 धान खरीद में जमीन आसमान का अंतर है. पिछली बार 147 केंद्र थे तो इस बार 165 केंद्र में मात्र 125 क्रय केंद्रों में धान की खरीद की गई. 19-20 और 20-21 की खरीद का लक्ष्य और किसानो की संख्या को देखा जाए तो आंकड़े साफ बता रहे हैं वो ही सरकार, वो ही अधिकारी, वो ही ठेकेदार, सारा सिस्टम वही, बस इस बार जिला अधिकारी दूसरे थे. तो चलिए आपको बताते हैं कि वो क्या फॉर्मूला था जिससे धान खरीद में जमीन आसमान का अंतर आया.

15 लोगों को जेल भी भेज गया
दरअसल, जब धान खरीद शुरू होने वाली थी, उसी समय किसानों के लिए जिला अधिकारी पुलकित खरे भगवान बनकर आए. इनके आते है इनकी ईमानदारी के चर्चे भी शुरू हो गए. धान खरीद को लेकर ताबड़तोड़ मीटिंग, अलग से अधिकारियों को लगना, कंट्रोल रूम बनाना जहां किसान फोन पर शिकायत दर्ज कराते थे, जिसके निस्तारण के लिए तैनात अधिकारी फोन करने वाले किसान को फॉलों करते थे. इसके अलावा क्रय केंद्रों पर लेखपाल की तैनाती भी की गई थी. इसके अलावा केंद्र प्रभारियों, राइस मिलों, ठेकेदारों, लेखपालों कि लापरवाही पर कार्रवाई की गई. धान खरीद को लेकर हर गतिविधि पर नजर रखी गई. अब तक धान खरीद में जो सिस्टम था उससे जुड़े अधिकारियों, बिचौलियों, लेखपाल, राइस मिलर, ठेकेदार जो सिस्टम में गड़बड़ करते थे सभी पर कार्रवाई की गई. कुल मिलाकर 29 पर एफआईआर हुई और 15 को जेल भी भेज गया.

डीएम ने बदल दी तस्वीर
इसी के बाद धान की खरीद में सख्ती का फॉर्मूला इतना कामयाब हुआ की किसान केंद्रों पर डटे रहे और अपना धान केंद्र पर ही बेचा. पिछले साल की तुलना में इस साल किसानों ने MSP से ज्यादा पर अपना धान बेचा. रिकॉर्ड तोड़ते हुए पीलीभीत धान खरीद के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि डीएम पुलकित खरे ने धान खरीद को चैलेंज के रूप में लिया और तस्वीर बदल दी. धान के बाद अब गेहूं खरीद की तैयारी शुरू हो चुकी है. किसानों को फायदा मिलता हुआ दिख रहा है.

लागू होना चाहिए फॉर्मूला
धान खरीद में सत्ताधारी नेताओं की भी नहीं चली और 22 हजार किसानों ने MSP पर धान बेचा. जिला अधिकारी पर इतना भरोसा हो गया कि किसान केंद्र पर ही डटे रहे और धान तौलाकर ही दम लिया. अगर, धान खरीद में जिला अधिकारी पीलीभीत के फॉर्मूले को लागू कर दिया जाए तो पूरे प्रदेश में MSP का फायदा किसानों को मिलेगा. किसान कानून और धरने की कोई जरूरत नहीं, बस सिस्टम को ठीक करने के सख्त कदम उठाने होंगे.

Author: aman yatra

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