समाजवादी पार्टी की दूसरी सूची में शामिल प्रत्याशियों के नाम
8 से ज्यादा सीटें निकाल सकती है बीजेपी
गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश में 11 विधान परिषद सीटें अगले साल जनवरी में खाली हो रही हैं. इन 11 सीटों में से छह सीटों पर सपा जबकि दो सीटें पर बसपा और तीन सीटों पर भाजपा के सदस्य हैं. यूपी में भाजपा की सरकार है और उसके विधायकों की संख्या की संख्या भी ज्यादा है. इस आधार पर 11 विधान परिषद सीटों में से बीजेपी 8 से ज्यादा सीटें निकाल सकती है. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की एक सीट पर जीत तय मानी जा रही है और दूसरी सीट से उसे निर्दलीय सहित अन्य दलों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी.
कैसे होता है चुनाव
राज्य में विधान परिषद को उच्च सदन माना जाता है. इसके लिये एक तिहाई सदस्य राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. अन्य एक तिहाई स्थानीय निकायों के सदस्यों यानी नगर पालिका और जिला बोर्ड के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. 1/12 सदस्यों का चुनाव राज्य के शिक्षक करते हैं और शेष 1/12 सदस्यों का चुनाव स्नातक पास पंजीकृत मतदाता करते हैं. विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल राज्यसभा सदस्यों की तरह छह साल का होता है. प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्यों का चुनाव होता है.
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