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फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी हथियाने वालों की अब खैर नहीं

आए दिन फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले लोगों के मामले सामने आने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। अब फर्जी डिग्री या मार्कशीट के नाम पर नौकरी पाने वालों को परेशानी होने वाली है। राज्य सरकार छात्रों की पढ़ाई का ब्योरा रखने के लिए यूनिवर्सल लर्नर पासपोर्ट की तैयारी कर रही है।

Story Highlights
  • लर्नर पासपोर्ट ऐप पकड़ेगा फर्जी दस्तावेज
  • अब परीक्षा से पहले ही पकड़ में आ जाएंगे फर्जी डिग्री वाले, आवेदन करते ही होगी अभ्यर्थियों के संलग्न प्रमाणपत्रों की जांच

कानपुर देहात, अमन यात्रा : आए दिन फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले लोगों के मामले सामने आने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। अब फर्जी डिग्री या मार्कशीट के नाम पर नौकरी पाने वालों को परेशानी होने वाली है। राज्य सरकार छात्रों की पढ़ाई का ब्योरा रखने के लिए यूनिवर्सल लर्नर पासपोर्ट की तैयारी कर रही है। इसमें न केवल उसकी पूरी पढाई लिखाई के सीखने की यात्रा को रिकॉर्ड किया जायेगा बल्कि संस्थान स्तर से उसके डिजिटल वॉल्ट में सभी प्रमाणपत्र और मार्कशीट अपलोड किए जाएंगे।

इससे लोग नौकरी के आवेदन के समय फर्जी मार्कशीट या सर्टिफिकेट नहीं लगा पाएंगे क्योंकि इसी वॉल्‍ट से उनका सत्यापन होगा। इसके लिए राज्य सरकार प्रस्ताव भी मांगने जा रही है। इसे शुरू करने वाला पहला राज्य यूपी होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों की शैक्षणिक प्रगति पर नजर रखने का भी नियम है। यह योजना राज्य में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। गौरतलब है कि इसके कॉन्सेप्ट नोट्स, नियम और शर्तें तथा अन्य बुनियादी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और जल्द ही तकनीकी साझेदारी का प्रस्ताव मांगा जाएगा। यह कक्षा 1 से 8 तक शुरू होगी लेकिन भविष्य में इसे प्ले ग्रुप से लेकर मास्टर्स और प्रोफेशनल स्टडीज में भी लागू किया जाएगा।

कैसे मिलेगा इसका लाभ-

इसका फोकस फर्जी सर्टिफिकेट / डिग्री के सहारे नौकरी पाने वालों पर लगाम लगाने पर है क्योंकि इसके लागू होने के बाद सर्टिफिकेट्स का वेरिफिकेशन डिजिटल वॉल्ट से ही होगा। सत्यापन के लिए विभिन्न बोर्डों या विश्वविद्यालयों को मार्कशीट या प्रमाणपत्र नहीं भेजे जाएंगे। अभी ज्यादातर धोखाधड़ी सत्यापन में की जाती है और क्‍लर्क्स की मिलीभगत से सत्यापन का मामला अटका रह जाता है। साथ ही लर्नर पासपोर्ट से किसी बच्चे का दो जगहों पर नामांकन नहीं किया जा सकता है। इससे नामांकन के फर्जीवाड़े और एक ही समय में दो डिग्री अर्जित करने पर भी अंकुश लगेगा। छात्रवृत्ति आदि के लिए कोई फर्जीवाड़ा नहीं होगा क्योंकि फर्जी मार्कशीट, जाति या आय, निवास, विकलांग प्रमाण पत्र का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।भविष्य में यह प्रस्ताव है कि यूनिक आईडी से ही योग्य विद्यार्थियों का चयन कर छात्रवृत्ति देने के लिए भी ऐसा किया जा सकता है। इस पासपोर्ट के साथ एक बच्चे की शिक्षा को नौकरी तक ट्रैक किया जाएगा और स्कूल से बाहर के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने में मदद मिलेगी जिससे अनावश्यक दस्तावेजों की संख्या को कम करने में लाभ होगा।

कैसे करेगा काम-

कक्षा 1 में एडमिशन लेने पर आधार को सीड करने के बाद एक यूनिक आईडी मिलेगी और एक डिजिटल वॉल्ट खुल जाएगा। इसमें स्‍टूडेंट की सभी कक्षाओं की अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों की अंकतालिका, प्रमाण पत्र दर्ज किए जाएंगे। जब छात्र पढ़ाई पूरी करेगा तो लर्नर पासपोर्ट में उसकी पूरी जानकारी होगी। इससे शिक्षकों और अभिभावकों को भी बच्चे की प्रगति देखने में मदद मिलेगी। दूसरी ओर किसी भी स्तर पर सत्यापन के लिए इस डिजिटल पासपोर्ट के वॉल्‍ट से जानकारी ली जाएगी। एक बार योजना लागू हो जाने के बाद स्‍टूडेंट्स को अपने प्रमाणपत्रों या मार्कशीट की फाइल के बजाय केवल लर्निंग पासपोर्ट दिखाना होगा। डिजीलॉकर  की तरह ही यह एप भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा ताकि रिकॉर्ड सुरक्षित बना रहे और कोई भी व्यक्ति उनमें छेड़छाड़ न कर सके।

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Author: aman yatra


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