टिकैत ने कहा, ”हम पंचायती प्रणाली को मानने वाले लोग हैं. हम फैसलों के बीच में न पंच बदलते हैं और न ही मंच बदलते हैं. जो सरकार की लाइन थी बातचीत करने की उसी लाइन पर वह बातचीत कर ले.”
उन्होंने कहा कि भारत तो आजाद हो गया. तो गुजरात कैद में क्यों है. गुजरात के आदमी को दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है. जो लोग दिल्ली आना चाहते हैं उनको जेल में बंद करते हैं, हम गुजरात भी जाएंगे.
बता दें कि किसान संगठनों और सरकार के बीच 11दौर की बैठकें हुई है. आज ही राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि समझौते के लिए विभिन्न दौर की बैठकों के दौरान सरकार ने खंडवार कृषि कानूनों पर विचार-विमश करने के लए आंदोलनरत किसान यूनियनों से अनुरोध किया था ताकि जिन खंडों में उनको समस्या है उनका समाधान किया जा सके.
तोमर ने कहा, ‘‘सरकार ने बैठक के दौरान हाल ही में लाये गये नये कृषि कानूनों की कानूनी वैधता सहित उनसे होने वाले लाभों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया. लेकिन किसान यूनियनों ने कृषि कानूनों पर चर्चा करने पर कभी भी सहमति व्यक्त नहीं की. वे केवल कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़े रहे.’’
दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर किसान पिछले करीब 80 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. गाजीपुर में राकेश टिकैत आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. इनकी मांग है कि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाएं.
किसान संगठनों ने आंदोलनों को तेज करने की चेतावनी दी है. देशभर में खासकर पंजाब, हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में महापंचायत आयोजित करने का फैसला लिया है. संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, 18 फरवरी को चार घंटे के लिए रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा.
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