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लू-प्रकोप (हीटवेब) से कृषि फसलों की सुरक्षा/भूमि में जल एवं नमी संरक्षण हेतु एडवाइजरी जारी, कृषक करें पालन

उप कृषि निदेशक राम बचन राम ने बताया कि लू-प्रकोप (हीटवेब) से कृषि फसलों की सुरक्षा/भूमि में जल एवं नमी संरक्षण हेतु प्रस्तावित सामान्य संस्तुतियां/कार्ययोजना निम्नलिखित हैं। भूमि में नमी संरक्षण हेतु मल्चिंग एवं खरपतवार नियंत्रण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। मल्च के रूप में बायोमास (जैव उत्पाद) का प्रयोग किया जाये। फसलों की सीडलिंग (पौध) की अवस्था मंें मल्चिंग का प्रयोग करें। सिंचाई जल की क्षति न्यूनतम करने के लिए फसलों की सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग किया जाये। नियमित अन्तराल पर सायंकाल में खेतो में हल्की सिंचाई करें

कानपुर देहात। उप कृषि निदेशक राम बचन राम ने बताया कि लू-प्रकोप (हीटवेब) से कृषि फसलों की सुरक्षा/भूमि में जल एवं नमी संरक्षण हेतु प्रस्तावित सामान्य संस्तुतियां/कार्ययोजना निम्नलिखित हैं। भूमि में नमी संरक्षण हेतु मल्चिंग एवं खरपतवार नियंत्रण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। मल्च के रूप में बायोमास (जैव उत्पाद) का प्रयोग किया जाये। फसलों की सीडलिंग (पौध) की अवस्था मंें मल्चिंग का प्रयोग करें। सिंचाई जल की क्षति न्यूनतम करने के लिए फसलों की सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग किया जाये। नियमित अन्तराल पर सायंकाल में खेतो में हल्की सिंचाई करें।समय-समय पर अन्तःकर्षण क्रियाओं से तैयार मल्च द्वारा भूमि सतह से होने वाली नमी के वाष्पीकरण द्वारा होने वाली हानि को रोके।

खेतो में जैविक खादों का प्रयोग किया जाये। फसलों की बुवाई पंक्तियों में करें। सिचांई नाली में सिचांई करते समय जल की क्षति को कम करने की लिए सबसे आसान एवं सस्ती तकनीक के रूप में पॉलीथीन शीट का उपयोग करें। सिंचाई पूर्ण हो जाने पर इस पॉलीथीन शीट को उठा लेना चाहिए। इसके साथ ही सिंचाई हेतु कन्वेंस पाइप का उपयोग किया जाना चाहिए। खेत पूर्णतया समतल होने चाहिए जिससे कि सिंचाई-जल पूरे खेत अथवा खेत के टुकड़ो में समान रूप से वितरण हो सके। उपरहार भूमियों में सिंचाई के लिए कन्टूर ट्रैन्च विधियो का प्रयोग किया जाये। जहां तक सम्भव हो सके, वर्षा के बहते जल का संग्रहण/संरक्षण किया जाये, जिससे फसलों की जीवन रक्षक सिंचाई एवं उनकी वृद्धि की क्रॉन्तिक अवस्थाओं पर की जाने वाली सिंचाई की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जा सके।

भूजल ही सबसे ज्यादा भरोसे का सिंचाई जल स्रोत है, अतः इसके अन्यायपूर्ण दोहन से बचे। धान की नर्सरी में पर्याप्त नमी रखे, सायं को खेत में पानी लगाये व सुबह तक यदि नर्सरी में पानी दिखे तो तत्काल जल की निकासी करें। लू-प्रकोप से बचाव हेतु पर्याप्त जल पिये व गमछे व सूती कपडों का प्रयोग करें। प्रातः 11ः बजे से पूर्व व सायं 03ः00 बजे के मध्य धूप में बाहर निकलने से बचे । मवेशियों को छायादार स्थानो पर रखे व उनको पीने के की शीतल जल की पर्याप्त व्यवस्था रखे।

Author: aman yatra

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