लखनऊ/ कानपुर देहात। शिक्षा विभाग ने सरकारी कर्मचारी सेवा आचरण नियमावली के प्रतिकूल व्यवहार करने के आरोप में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रहीं हैं क्योंकि लेखाधिकारी पर बिना किसी साक्ष्य के संगठन द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए तो लेखाधिकारी शिवा त्रिपाठी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय एवं स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद को पत्र लिखकर आचरण नियमावली के प्राविधानों के उल्लंघन पर दोषी उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के नेताओं पर सख्त कार्यवाही करने की गुजारिश की है।
शासनादेश में निहीत व्यवस्थानुसार समूह ख ग घ के सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध की गयी शिकायतों के सम्बन्ध में शपथपत्र के माध्यम से शिकायतों की पुष्टि तथा की गई शिकायतों की वास्तविकता सिद्ध करने के लिए समुचित सुसंगत साक्ष्य उपलब्ध कराने जाने का प्राविधान हैं। उसके बाद भी उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने लेखाधिकारी कार्यालय पर झूठे एवं मनगढ़ंत आरोप लगा दिए। बताते चलें उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ शाखा जनपद कानपुर देहात ने 18 मई 2023 को संघठन के जिलाध्यक्ष अशोक सिंह, महामंत्री संजय सचान, कोषाध्यक्ष राहत अली एवं अन्य सहयोगियों द्वारा बीआरसी अकबरपुर परिसर में आयोजित धरना प्रदर्शन के दौरान अधोहस्ताक्षरी कार्यालय के कार्मिकों को शासकीय कार्य करने से रोका गया, धमकी देकर शासकीय कार्यों को बाधित करने का प्रयास किया गया।
अशोक सिंह द्वारा यह जानते हुये भी कि लेखाधिकारी निर्वाचन अधिकारी के रूप में डिप्टी रजिस्ट्रार कानपुर नगर में निर्वाचन कार्यवाही सम्पन्न करा रही थीं उसके बाद भी धरना प्रदर्शन के दौरान यह प्रचार-प्रसार किया गया कि वह कार्यालय से अनुपस्थित हैं जिसका इनके द्वारा मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के प्राविधानों का उल्लंघन किया गया, इतना ही नहीं ये पदाधिकारी अपने दायित्वों के निर्वहन में उदासीनता बरतते हैं। विभाग की छवि खराब करने के लिए जिला स्तर से लेकर निदेशालय तक अनावश्यक पत्र व्यवहार कर बिना साक्ष्य के फर्जी एवं मनगढ़ंत आरोप लगाकर शिकायत करते हैं जोकि अनुशासनहीनता है। अशोक सिंह, संजय सचान, राहत अली तथा उक्त संगठन के पदाधिकारियों द्वारा उक्त कृत्यो द्वारा न केवल शासकीय कार्यों को बाधित करने का प्रयास किया गया अपितु इनके द्वारा उक्तानुसार प्रायोजित तथ्यहीन आरोपों द्वारा व्यक्तिगत हित साधने हेतु शिक्षक समुदाय को गुमराह कर भड़काने के कारण अधोहस्ताक्षरी कार्यालय के साथ-साथ शिक्षा विभाग तथा शासन की छवि धूमिल हुई है जो उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के प्राविधानों का खुला उल्लंघन है। आचरण नियमावली के प्राविधानों के तहत दोषी शिक्षकों के विरूद्ध आपके स्तर से विभागीय अनुशासनात्मक एंव दण्डात्मक कार्यवाही तथा शासकीय कार्यों को बाधित करने के आरोप में नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जाय ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो सके।
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