G-4NBN9P2G16

शगुन किट’ बन रही नव दंपति की खुशहाली का आधार : सीएमओ

एक साल के अंदर वैवाहिक बंधन में बंधे युवकों व युवतियों से परिवार नियोजन पर संवाद करने के लिए स्वास्थ्य विभाग “आशीर्वाद” अभियान चला रहा है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की ओर से नव दंपति को दी जाने वाली शगुन किट उनकी खुशहाली का आधार बन रही है। इसकी मदद से दंपति परिवार नियोजन के साधन अपना रहे हैं

कानपुर नगर। एक साल के अंदर वैवाहिक बंधन में बंधे युवकों व युवतियों से परिवार नियोजन पर संवाद करने के लिए स्वास्थ्य विभाग “आशीर्वाद” अभियान चला रहा है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की ओर से नव दंपति को दी जाने वाली शगुन किट उनकी खुशहाली का आधार बन रही है। इसकी मदद से दंपति परिवार नियोजन के साधन अपना रहे हैं और शादी के दो साल बाद बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं। इससे जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिल रही है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन का।

सीएमओ ने बताया कि परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के साथ ही बच्चों के जन्म के बीच में अंतर रखने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से नव विवाहित जोड़ों को शगुन किट प्रदान की जा रहीं हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम के अधिकारी डॉ एसके सिंह ने बताया कि विवाह के बाद बहू के ससुराल में कदम रखते ही आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुभ शगुन के रूप में नई पहल किट यानि शगुन किट का तोहफा देती हैं। उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नवविवाहित दंपति को वितरित करने के लिए 8516 शगुन किट जनपद को प्राप्त हुई हैं,  जिसमें 1800 शगुन किट शहरी क्षेत्र में बांटी जानी हैं।

शगुन किट की यह है खासियत

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) अश्विनी गौतम ने बताया कि शगुन किट 12 से 13 इंच के चौकोर लाल रंग के साथ प्राकृतिक जूट से  बना एक बॉक्स है। इसे स्वास्थ्य विभाग की ओर से नवदंपति को शादी के बाद उपहार स्वरूप भेंट किया जाता है। बॉक्स पर ‘नया उपहार शगुन बेमिसाल, नई जोड़ी परिवार खुशहाल’ का स्लोगन भी लिखा होता है। इसमे तौलिया का सेट, कंघी, बिंदी, नेल कटर, दो सेट रूमाल, छोटा शीशा, गर्भ निरोधक साधन आदि मुहैया कराए जाते हैं। इसके अलावा  शगुन किट में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक पत्र भी होता है, जिसमें परिवार नियोजन के फायदों के बारे में लिखा होता है। इस पत्र का उद्देश्य नवविवाहित दंपति को जनसंख्या नियंत्रण के लिए सचेत करने के साथ दो बच्चों तक ही परिवार को सीमित रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। किट में पति और पत्नी के लिए आपातकाल में प्रयोग की जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियां, सामान्य गर्भनिरोधक गोलियां और कंडोम होते हैं। किट में स्वास्थ्य और सफाई के लिए जरूरी सामान भी होता है।

दो बच्चों के जन्म में रखें तीन साल का सुरक्षित अंतर : डॉ माला

नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विजय नगर की चिकित्सा अधीक्षक डॉ माला सिंह ने गुरुवार को केंद्र पर आशा कार्यकर्ता के सहयोग से पहुंचे तीन नवविवाहित जोड़ों को शगुन किट दी गयी। इसके साथ ही उन्हें बताया गया कि सेहत के साथ ही आर्थिक बेहतरी के लिए जरूरी है कि नव दंपति संतान प्राप्ति की योजना शादी के दो साल बाद ही बनाएं। साथ ही दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का सुरक्षित अंतर रखें। यह सुरक्षित अंतर मां और बच्चे की सेहत  के लिए भी बहुत जरूरी है।

Author: aman yatra

aman yatra

Recent Posts

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदर्शन और ज्ञापन का दिखा असर

कानपुर देहात। सेवारत शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य की गई टीईटी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा… Read More

4 minutes ago

शिक्षकों को न बनाएं राजनीतिक खेल का मोहरा

आज का समाज विचारधाराओं में इस कदर विभाजित है कि हर बात, हर विचार और हर व्यक्ति को किसी न… Read More

39 minutes ago

बिग ब्रेकिंग: आयकर रिटर्न भरने के लिए आज एक और मौका

नई दिल्ली/कानपुर देहात। आयकर विभाग ने सोमवार को आईटीआर दाखिल करने के आखिरी दिन रिटर्न भरने में लोगों को हुई… Read More

49 minutes ago

कानपुर देहात में वैना नहर में मिले युवक के शव के पोस्टमार्टम में सनसनीखेज खुलासा

पुखरायां।कानपुर देहात के राजपुर थाना क्षेत्र के वैना नहर तिराहे पर मिले एक युवक के शव के पोस्टमार्टम में चौंकाने… Read More

14 hours ago

कानपुर देहात में गुमशुदा महिला सकुशल बरामद,किया गया परिजनों के सुपुर्द

पुखरायां।कानपुर देहात के डेरापुर थाना क्षेत्र से लापता हुई एक महिला को पुलिस ने सोमवार को बरामद कर लिया है।महिला… Read More

14 hours ago

कानपुर देहात में रविवार से लापता दो किशोरियों के मामले में पुलिस के हांथ खाली

पुखरायां। कानपुर देहात के गजनेर थाना क्षेत्र में बीती रविवार की सुबह घर से लकड़ियां बीनने जंगल गईं रास्ते से… Read More

15 hours ago

This website uses cookies.