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राँची, झारखंड : देश-विदेश में शाकाहार सदाचार नशामुक्ति का बिगुल बजाने वाले निजधाम वासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जान-अनजान और जीभ के स्वाद वश होने वाली मानव की भारी गलतियों के भारी दुष्परिणामों से सतर्क करने वाले, इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी दयालु धरती के सरताज उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 19 जून 2022 को रांची झारखंड स्थित आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कुछ समय के लिए मनुष्य शरीर मिला है। इस समय कलयुग में किसी के जिन्दगी कोई भरोसा नहीं है कि कब शरीर छूट जाए। पहले बुड्ढे होने के बाद लोग प्राण त्यागते, शरीर छोडते थे तब आत्मा निकलती, मरते थे। अब तो जवानों का भी कोई भरोसा नहीं है। कौन कब कहां मर जाए, कौन किसको मार दे, काट दे। उन्माद में आ जाते हैं। खानपान लोगों का गलत हो गया, गुस्सा क्रोध बहुत बढ़ गया। शराब और बुद्धिनाशक नशे का सेवन करने लग गए। कोई ज्ञान नहीं रहेगा, मरने-मारने का जो जुनून सवार हो गया बस वही कर डाल रहे हैं।
दूध देने वाले पशुओं का मांस खाओ और कहो हम दूध देने वाले पशु का मांस खा रहे हैं, डबल गलती
जड़ चीजें जो स्वयं चल-फिर न सके जैसे फल, फ्रूट, दूध, घी, मेवा, मिष्ठान यह मनुष्य का भोजन है। दूध देने वाले पशुओं का मांस खाओ और कहो कि हम दूध देने वाले पशुओं का मांस खा रहे हैं तो आपकी गलती मानी जाएगी, उससे डबल पाप लगेगा।
जीव हत्या है बहुत बड़ा पाप, इसकी भारी सजा मिलेगी
जीव हत्या बहुत बड़ा पाप होता है। यहां आप छुपकर करके जो मार काट देते हो तो कहा गया है-
साजन से चोरी न चली
उसके सामने चोरी नहीं चलेगी।
राम झरोखे बैठकर सबका मुजरा लेय।
जाकी जैसी चाकरी वाकौ वेसा देय।।
फल भोगना पड़ेगा इसलिए जीवों पर रहम करो, दया करो।
सभी पशु-पक्षी, जीव-जंतु प्रभु के हैं जीव
देखो उस प्रभु के सब बंदे हैं। सबके अंदर उस प्रभु की जीवात्मा है तो हिंसा करोगे तो प्रभु को दु:ख होगा कि नहीं होगा? भगवान को मानते हो लेकिन भगवान की नहीं मानते हो। जो उनका नियम है उनके नियम का उल्लंघन करोगे तो सजा मिलेगी। यहां भी दु:ख झेलते रहोगे और शरीर जब छूटेगा वहां भी दु:ख झेलोगे। ऐसा नहीं करने का। सुख शांति का काम करो, जीव हत्या मत करो। मांस खाओ भी नहीं। खाने वाले नहीं होंगे तो काटने वाले भी ये छोड़कर दूसरा साग-सब्जी, दूध-घी का धंधा कर लेंगे उसमें अच्छी ज्यादा कमाई होने लग जाती है। सैकड़ों उदाहरण हैं। विश्वास कर लोगे तो आसानी से छूट जाएगा।
जानकारी से इच्छा जगती है फिर कर्म करने से प्राप्ति होती है
आदमी को जब यह जानकारी हो जाती है कि समर्थ गुरु को खुश करके उनसे रास्ता लेकर के मनुष्य शरीर में ही प्रभु की प्राप्ति कर सकते हैं। जब उसकी इच्छा जगती है तो खोज करता है। जब करता है तो मिल जाता है। कहा गया है-
सकल पदारथ है जग माही।
कर्म हीन नर पावत नाही।।
कर्म जब आदमी नहीं करता है तो कोई भी चीज उसको नहीं मिलती है। जैसे नौकरी है। नौकरी न करे तो नौकरी चली जाएगी, पैसा नहीं मिलेगा। मजदूर मजदूरी करता है। काम नहीं करेगा तो उसको पैसा मिलेगा? शरीर से भी करना पड़ता है और अपनी आत्मा को जगाने के लिए मन को रोकना पड़ता है, कर्म करना पड़ता है। सब कुछ यहीं पर है।
बाबा उमाकान्त जी के अनमोल वचन
एक को गुस्सा आवे, दूसरा चुप हो जाए तो झगड़ा टल जाता है। संयम-नियम से रहोगे तो जल्दी बीमारी नहीं लगेगी। रोज सतसंग सुनने से कोई न को कोई नई बात मिल जाती है। कर्मों की सजा से आज तक कोई बच नहीं पाया इसलिए अच्छे कर्म करो।
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