स्वतंत्रता संग्राम में जुरिया गांव रहा था अग्रणी, उसके योगदान को रखना होगा याद
अमृत महोत्सव के उपलक्ष में जनपद में जहां अनेकों कार्यक्रम हो रहे हैं वही स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी जुरिया ग्राम को स्मरण में रखना बहुत आवश्यक है.

- यहां आए थे झंडा गीत के रचनाकार एवं सीमांत गांधी जी आ चुके हैं यहां
सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात : अमृत महोत्सव के उपलक्ष में जनपद में जहां अनेकों कार्यक्रम हो रहे हैं वही स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी जुरिया ग्राम को स्मरण में रखना बहुत आवश्यक है इस संबंध में ग्राम निवासी केसी पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि
कानपुर देहात जनपद के ग्राम जुरिया के स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या 13 है जिनमें शिवराम पांडे का नाम प्रथम श्रेणी में है जो आगे चलकर विधायक भी बने। वही लज्जाराम पांडे प्रेम शंकर पांडे राम रतन पांडे शिवचरण लाल यादव कुंजीलाल रामचरण यादव रामदयाल यादव जोधा महादेव मनोहर लाल मथुरा प्रसाद राजा सिंह प्रमुख नाम है। यह सभी एक शिलालेख के रूप में उस ग्राम में स्थित एक वटवृक्ष के नीचे स्थापित है।
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उल्लेखनीय है कि यह पेड़ भारत रत्न खान अब्दुल गफ्फार खान दिनेश सीमांत गांधी के नाम से जाना जाता है 1935 में जुरिया गांव पहुंचे थे और पी पांडे ने उनका जबरदस्त स्वागत किया था उन्हीं की स्मृति में यह बरगद का पौधा रोपित किया गया था जो आज विशाल रूप धारण कर चुका है। गर्व होना ही चाहिए हर सेनानी/शहीद पर, क्योंकि स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने वाले प्रत्येक ने अपनी-अपनीे विचार धारा से लड़ाई लड़ी। इसलिये चाहे भगत सिंह हों, और चाहे सुभाष चन्द्र बोस, दादा भाई नौरोजी, रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे, लाजपत राय, मैथिलीशरण गुप्त, महात्मा गांधी सभी के ॠणी हैं हम सब देशवासी। किन्तु आम जन को आज़ादी की लड़ाई से जोड़कर एक चौथाई शताब्दी तक आन्दोलनों को चलाने का हुनर तो साबरमती आश्रम के बापू में ही था। ‘अगस्त क्रांति आन्दोलन’ की वर्षगाँठ पर आज हम सब अपने पूर्वजों पर गर्व करते हैं तथा उन सबको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में अपने तन,मन या धन से तनिक भी योगदान दिया।
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