शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस समाप्त करने की मांग हुई तेज
परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के साथ सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है जहां एक ओर सभी विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है किसी भी विभाग में अधिकारी कर्मचारी समय से उपस्थित नहीं होते हैं वहीं दूसरी ओर शिक्षकों पर सरकार लगातार दबाव बनाती जा रही है। शिक्षकों से पंजिकाओं के डिजिटलाइजेशन व डिजिटल उपस्थिति के विरोध में प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने बेसिक शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश को पत्र भेज कर अपना विरोध दर्ज कराया है
कानपुर देहात। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के साथ सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है जहां एक ओर सभी विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है किसी भी विभाग में अधिकारी कर्मचारी समय से उपस्थित नहीं होते हैं वहीं दूसरी ओर शिक्षकों पर सरकार लगातार दबाव बनाती जा रही है। शिक्षकों से पंजिकाओं के डिजिटलाइजेशन व डिजिटल उपस्थिति के विरोध में प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने बेसिक शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश को पत्र भेज कर अपना विरोध दर्ज कराया है। पत्र के माध्यम से कहा गया है कि शिक्षकों की मूलभूत समस्याओं जैसे वेतन विसंगति, ईएल की मांग, चिकित्सीय सुविधा, पुरानी पेंशन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति, लिपिक की नियुक्ति आदि का समाधान करने की बजाय शिक्षकों पर ऑनलाइन उपस्थिति को जबरदस्ती थोपा जा रहा है किसी व्यक्ति का डिजिटल ऑनलाइन फोटोग्राफ का प्रयोग किया जाना उस व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन है।
आपको बता दें कि 15 जलाई 2024 से टैबलेट के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की जानी है।महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि परिषदीय स्कूलों में सभी रजिस्टर डिजिटल माध्यम से ही स्वीकार किए जाएंगे और ऑनलाइन हाजिरी लगेगी जिसको लेकर समस्त शिक्षक संगठनों में रोष व्याप्त है। संगठनों का कहना है कि महानिदेशक का आदेश व्यवहारिकता से कोसों दूर है और अपनी वाहवाही के चक्कर में शिक्षकों का उत्पीड़न किया जा रहा है क्योंकि सचिवालय कर्मचारी, राज्य कर्मचारी , माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा व अन्य विभागों में डिजिटल फेस रिकॉग्निशन सिस्टम लागू नहीं है।
ये आएंगी समस्याएं-
डिजिटल उपस्थिति के मार्ग में कई समस्याऐं आने वाली हैं। ज्यादातर परिषदीय विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में होते है जहां नेटवर्क की अधिकांश समस्या रहती है। पूरे प्रदेश के शिक्षक जब एक साथ उपस्थिति दर्ज करेंगे तो सर्वर क्रैश होने की पूरी संभावना है। ऐसे में उपस्थित फस सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की विकट समस्या रहती है यदि टैबलेट चार्ज नहीं हुआ तो ऑनलाइन उपस्थिति लगाना संभव नहीं होगा।
शिक्षकों के जान माल का भी खतरा-
ऑनलाइन हाजिरी से शिक्षकों को जान माल की घटनाओं में एकाएक वृद्धि होगी। आंधी तूफान बारिश आने पर शिक्षकों को रास्ते में रुकना पड़ेगा जिससे विलंब होने की दशा में वाहन तेज गति से चलाना स्वाभाविक है ऐसे में एक्सीडेंट होंगे और मौत का खतरा बना रहेगा।
शिक्षकों की नाराजगी सरकार पर पड़ सकती है भारी-
अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों एवं शिक्षकों की नाराजगी साफ देखने को मिली है। परिणाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में सरकार की सीटों में काफी कमी आई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2027 में शिक्षकों व कर्मचारियों की नाराजगी सरकार पर भारी पड़ सकती है।