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शिक्षकों के पदोन्नति की वरिष्ठता सूची जारी, कब होगें प्रमोशन बता नहीं पा रहे अधिकारी

बेसिक शिक्षा विभाग में महीनों से शिक्षकों की पदोन्नति हो रही है पर यह हकीकत में नहीं सिर्फ कागजों में हो रही है। शिक्षकों को जो काम सौंपा जाता है तो जरा भी देरी होने पर कार्यवाही कर दी जाती है और अधिकारी करीब 6 महीने में वरिष्ठता सूची तैयार कर पोर्टल पर अपलोड नहीं कर पाए हैं।

अमन यात्रा, कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग में महीनों से शिक्षकों की पदोन्नति हो रही है पर यह हकीकत में नहीं सिर्फ कागजों में हो रही है। शिक्षकों को जो काम सौंपा जाता है तो जरा भी देरी होने पर कार्यवाही कर दी जाती है और अधिकारी करीब 6 महीने में वरिष्ठता सूची तैयार कर पोर्टल पर अपलोड नहीं कर पाए हैं। क्या ऐसे अधिकारियों को अपने पद से त्यागपत्र नहीं देना चाहिए।
प्रदेश के 1.14 लाख से अधिक परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत सहायक अध्यापकों के प्रमोशन को लेकर पिछले छह महीने से आदेश पर आदेश जारी हो रहे हैं लेकिन पदोन्नति कब होगी किसी को पता नहीं है।बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने 31 जनवरी को समय सारिणी जारी की थी जिसके अनुसार दस अप्रैल तक पदोन्नति हो जानी थी। दो महीने पहले तक वरिष्ठता सूची की आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद अंतिम सूची वेबसाइट पर अपलोड की गई। अब सचिव ने 18 जुलाई को एक और पत्र जारी कर सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से 24 जुलाई तक पदोन्नति के लिए अंतिम ज्येष्ठता सूची सही होने का प्रमाणपत्र मांगा है।
यह भी साफ नहीं है कि जिलों में पदोन्नति के लिए कितने पद रिक्त हैं और उनमें से कितने पदों पर प्रमोशन होगा। कानपुर देहात में 1208 शिक्षकों की वरिष्ठता सूची जारी की गई है लेकिन विभाग को यह नहीं पता कि कितने शिक्षकों की पदोन्नति होगी। यही नहीं अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के लिए साथी तलाश कर बैठे शिक्षक भी परेशान हैं कि तबादले से पहले साथी शिक्षक का प्रमोशन हो गया तो उनका ट्रांसफर अटक जाएगा। वहीं दूसरी ओर प्रमोशन न होने से प्रदेशभर के लाखों शिक्षकों को हर महीने औसतन ढाई से चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है।अधिकतर स्कूलों में प्रभारी प्रधानाध्यापक से काम लिया जा रहा है।
यह स्थिति तब है जबकि प्राथमिक स्कूलों का पांच साल में प्रमोशन का नियम है और कानपुर देहात में ही फरवरी 2009 के बाद नियुक्त शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हुआ है जबकि नियमतः इनकी पदोन्नति एक दशक पहले 2014 में ही हो जानी चाहिए थी। इससे साफ जाहिर होता है की सरकार सिर्फ कागजों में ही नियम कानूनों को लपेट कर रखती है हकीकत में किसी भी आदेश का पालन नहीं करती और इसका खामियाजा आम जनमानस को उठाना पड़ता है।
Author: aman yatra

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