कानपुर देहात

शिक्षक दिवस पर शिक्षक को दिया जाने वाला सम्मान बेमानी है : वी.के. मिश्रा

माध्यमिक शिक्षक संघ के मण्डलीय मंत्री व वरिष्ठ नेता ने शिक्षक दिवस पर दिये जाने वाले सम्मान को अर्थहीन बताते हुए कहा है कि अच्छा तो यह होता कि एक दिन उन्हें माला फूल न पहनाकर वर्ष भर उनके दुख दर्द को सुना जाता जिसके लिए वह विभाग के अधिकारियों के आसपास चक्कर काटने पर बाध्य होता है। उन्होंने कहा कि आज बहुत जोर शोर रहा शिक्षकों को सम्मानित करने का।

अकबरपुर, सुशील त्रिवेदी ।  माध्यमिक शिक्षक संघ के मण्डलीय मंत्री व वरिष्ठ नेता ने शिक्षक दिवस पर दिये जाने वाले सम्मान को अर्थहीन बताते हुए कहा है कि अच्छा तो यह होता कि एक दिन उन्हें माला फूल न पहनाकर वर्ष भर उनके दुख दर्द को सुना जाता जिसके लिए वह विभाग के अधिकारियों के आसपास चक्कर काटने पर बाध्य होता है। उन्होंने कहा कि आज बहुत जोर शोर रहा शिक्षकों को सम्मानित करने का। सर्वप्रथम सभी सम्मानित किए गए शिक्षक शिक्षिकाओं को हार्दिक बधाई। आज के सम्मान समारोह का इवेंट देख कर ऐसा लग रहा कि गुरूर ब्रह्मा,गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वरः चरितार्थ हो रहा हो। परन्तु यही मन्त्रीगण, नेतागण,अधिकारी गण यहां तक कि इनके कार्यालय के बाबू तक आम दिनों में आम शिक्षक को अपने कार्यालय में बैठने तक के लिए कुर्सी तक प्रदान नही करते। 40-50 किलोमीटर से चलकर आया शिक्षक पसीना पोछते हुवे इनके टेबल के सामने खड़ा अपनी बात कहने के लिए इनकी नजरें इनायत का इंतजार करता है।
शिक्षकों को फोकट की तनख्वाह लेने वाले कह कर पुकारने वाले, उन्हें एक श्रमिक की तरह समझने वाले सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक बिना खाये पिये विद्यालयों में कक्षा शिक्षण को मजबूर करने वाले, अपने ही पैसे पर लोन लेने के लिए रिश्वत देने को मजबूर शिक्षकों के लिए आज 10 रुपये का प्रमाण पत्र (सम्मानित हुवे शिक्षक इसे अन्यथा न लें मेरा मन्तव्य उनके सम्मान को ठेस पहुंचाना नही है) 200 रुपये की शाल और 25 रुपये की माला प्रत्येक जनपद में 75 लोगों पर खर्च करके अच्छा इवेंट तो बनाया जा सकता है और समाज मे एक सन्देश भी दिया जा सकता है परन्तु शिक्षकों के लिए उनकी सोच को नही बदल पाएगी, क्योंकि आज वित्तविहीन शिक्षक इस प्रमाणपत्र के सहारे अपने परिवार का पेट नही पाल सकता, दो वर्ष से वो बिना वेतन के है, दिन ब दिन शिक्षकों की सेवा दशाओं,उनके सेवानिवृत्त के बाद उनको सड़क पर भूखों मरने के लिए छोड़ना, समाज मे उनकी छवि धूमिल करना।
ये इवेंट शायद ही उनके हृदय के शूल के जख्म को कम कर पायेगा। मेरा मानना है, कि जिस दिन किसी कार्यालय का प्रमुख शिक्षकों के आने पर अपनी कुर्सी से उठकर सामने की कुर्सी पर आदरपूर्वक उन्हें को बैठने के लिए आग्रह करेगा, जिस दिन एक आई0ए0एस0 या मंत्री अपने कार्यालय में आये हुवे  शिक्षक को छोड़ने के लिए खुद गेट तक आएगा उस दिन वास्तविक रूप से शिक्षक का सम्मान होगा।
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Recent Posts

किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी ने मनाया पहला वर्षगांठ

प्रयागराजl किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी ने अपना पहला वर्षगांठ धूमधाम से मनाया। 43/1 सरदार…

5 hours ago

प्रयागराज में महाकुंभ के लिए यातायात व्यवस्था की समीक्षा बैठक

प्रयागराजl महाकुंभ-2025 के सुचारू संचालन के लिए, पुलिस आयुक्त प्रयागराज ने रिजर्व पुलिस लाइन्स स्थित…

5 hours ago

युवक ने अज्ञात कारणों के चलते खाया जहरीला पदार्थ,रेफर

पुखरायां।भोगनीपुर कोतवाली क्षेत्र के पिपरी गांव निवासी एक युवक ने सोमवार को अज्ञात कारणों के…

5 hours ago

1602 परिषदीय विद्यालयों में कक्षा से 1 से 3 तक की नैट परीक्षा संपन्न

कानपुर देहात। निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु सोमवार को जिले के 1602 प्राथमिक…

6 hours ago

कानपुर देहात पुलिस ने 363, 366 के मामले में वांछित आरोपी को किया गिरफ्तार

कानपुर देहात। पुलिस ने अपराध नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत…

7 hours ago

बुजुर्ग महिला हत्याकांड का खुलासा, जमीन के लालच में वारदात

पुखरायां। कानपुर देहात के बरौर में एक बुजुर्ग महिला की हत्या के मामले में पुलिस…

7 hours ago

This website uses cookies.