शिक्षामित्रों की हालत खस्ता सरकार नहीं निकल पा रही कोई सटीक रास्ता
आज के समय में शिक्षामित्रों के हालात चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु जैसे हो गए हैं उसे चारों ओर से घेर लिया गया है। उसकी समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करे। बेशक मनुष्य जीवन जब अंधकार में पहुंच जाता है तो उसे हर पल हर समय यही आश लगी रहती है कि किसी को तो ईश्वर फरिश्ता बनाकर भेजेगा जो उसे इस समय अंधकार से निकाल ले जायेगा।

- शिक्षामित्रों के हालात चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु जैसे हो गए हैं उसे चारों ओर से घेर लिया गया है।
अमन यात्रा, कानपुर देहात। आज के समय में शिक्षामित्रों के हालात चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु जैसे हो गए हैं उसे चारों ओर से घेर लिया गया है। उसकी समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करे। बेशक मनुष्य जीवन जब अंधकार में पहुंच जाता है तो उसे हर पल हर समय यही आश लगी रहती है कि किसी को तो ईश्वर फरिश्ता बनाकर भेजेगा जो उसे इस समय अंधकार से निकाल ले जायेगा। शिक्षामित्र कैसे हालात में संघर्ष कर रहा है बस वो ही जानता है केवल 10 हजार रुपए महीने की पगार में शिक्षा मित्र बच्चो की पढ़ाई, दवाई खर्च, रसोई खर्च, अन्य घरेलू खर्च, बच्चो की शादी के लिए बचत आदि कैसे कर सकता है इसको जानने के लिए बड़े से बड़ा अर्थशास्त्री भी चक्कर काट कर भूमि पर गिर जायेंगे। ये तस्वीर जो आपको ऊपर दिखाई दे रही इसमें सरकार से लेकर शिक्षामित्र नेता, वकील, जनता, विभागीय अधिकारियों, बीमारियों परिवार की विभिन्न समस्याओं से शिक्षामित्र घिरा हुआ है।
अब उसे हर पल यही आशा है कि कौन घड़ी में कौन उसकी मदद कर दें ताकि उसका जीवन गुजर हो जाय। किसी भी राज्य की सरकार अपने राज्य की जनता की रहनुमा होती है उसे 23 साल से शिक्षकों के बराबर सेवा देने वाले शिक्षामित्र को समाज व सरकार की मदद करने की इतनी बड़ी सजा देना घोर अन्याय है। संविधान की धारा 14 क का घोर उलंघन है। समानता के अधिकार पर कुल्हाड़ी मारकर सरकार द्वारा जघन्य अपराध किया जा रहा है।
सरकार द्वारा अनेक रास्ते निकल सकते हैं बस मन की इच्छा होनी चाहिए। शिक्षामित्रों के साथ सौतेला व्यवहार कर इनको गहरी खाई में धक्का देना बहुत बड़ा पाप है क्योंकि इन्होंने पूर्ण योग्यता हासिल कर बच्चो को 22 साल शिक्षा दी है समाज को दिशा देने का काम किया है। अब उम्र के अंतिम पड़ाव पर उन सभी को सहानुभूति की जरूरत है। उत्तर प्रदेश सरकार से मेरी मांग है कि शिक्षामित्रों के लिए समान कार्य समान वेतन पर विचार करें और नियमावली में संशोधन कर अतिशीघ्र रोज रोज होने वाली मौत से बचाएं।
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