श्री गौर कृष्ण धाम में 21वां वार्षिक उत्सव का भव्य आयोजन कल
भोगनीपुर तहसील क्षेत्र के जगतगुरु श्री श्री 1008 प्रियदर्शी जी महाराज की जन्मस्थली श्री गौर कृष्ण धाम में बसंत पंचमी के पावन अवसर पर 21वां वार्षिक उत्सव कार्यक्रम मनाया जाएगा।

पुखरायां : भोगनीपुर तहसील क्षेत्र के जगतगुरु श्री श्री 1008 प्रियदर्शी जी महाराज की जन्मस्थली श्री गौर कृष्ण धाम में बसंत पंचमी के पावन अवसर पर 21वां वार्षिक उत्सव कार्यक्रम मनाया जाएगा। इस उत्सव में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित श्री कृष्ण चरित्र मानस के दोहा का वाचन, भजन-कीर्तन और झांकी का आयोजन किया जाएगा। क्षेत्र के लोग इस पावन अवसर पर श्री कृष्ण की झांकी का दर्शन कर अपने आप को धन्य महसूस करेंगे।
कार्यक्रम का विवरण
कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि इस उत्सव में दोपहर 2 बजे से प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा। उन्होंने बताया कि जगतगुरु प्रियदर्शी जी महाराज ने करीब 51 से अधिक ग्रंथों की रचना की है। उनकी जन्मस्थली श्री कृष्ण गोवर्धन धाम में वर्ष के प्रत्येक शुभ अवसर पर झांकी, श्रंगार, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
उत्सव का महत्व
इस वार्षिक उत्सव का मुख्य उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं और उनके चरित्र को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना है। कार्यक्रम में शामिल होने वाले भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की झांकी के दर्शन करने का अवसर मिलेगा, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और आनंद की प्राप्ति होगी।
जगतगुरु प्रियदर्शी जी महाराज का योगदान
जगतगुरु श्री श्री 1008 प्रियदर्शी जी महाराज ने अपने जीवनकाल में 51 से अधिक ग्रंथों की रचना की, जो आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति का भंडार हैं। उनकी जन्मस्थली श्री गौर कृष्ण धाम में हर साल बसंत पंचमी के अवसर पर यह उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
आमंत्रण
इस पावन अवसर पर क्षेत्र के सभी लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने और इस धार्मिक उत्सव का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में भाग लेने वाले भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होगा।
कार्यक्रम समय सारिणी
- भजन-कीर्तन और श्री कृष्ण चरित्र मानस का वाचन: सुबह 10 बजे से
- झांकी दर्शन: दोपहर 12 बजे से
- प्रसाद वितरण: दोपहर 2 बजे से
- आरती : 6:30 बजे से
इस उत्सव के माध्यम से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव होगा, साथ ही जगतगुरु प्रियदर्शी जी महाराज के संदेशों को जानने का अवसर मिलेगा।
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