कानपुर देहात। हर मनुष्य के जीवन में लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है क्योंकि लक्ष्य प्रेरणा प्रदान करता है, दिशा देता है और सफलता के लिए एक मार्ग की रूपरेखा तैयार करता है। लक्ष्य के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने बच्चों को लक्ष्य के प्रति जागरूक करना चाहिए। माता-पिता को अपने अनुभव के अनुसार बच्चों को शैक्षिक गतिविधियों में लाना चाहिए और पहले से ही लक्ष्य निर्धारित करते हुए बच्चों को उसे पाने के लिए प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। कर्म करो फल की इच्छा ना करो इस फार्मूले का कभी भी अमल नहीं करना चाहिए।
लक्ष्य निर्धारण से मिलती है दिशा-
जब आपके पास एक लक्ष्य होता है तो आप जानते हैं कि आपको किस दिशा में प्रयास करना है। यह आपको भ्रम और अनिश्चितता से बचाता है और आपको सही रास्ते पर चलने में मदद करता है।
मिलती है प्रेरणा-
लक्ष्य आपको प्रेरित करता है और आपको अपने काम में लगे रहने के लिए उत्साहित करता है। जब आप जानते हैं कि आप एक विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको काम करने के लिए अधिक उत्साह और प्रेरणा मिलती है।
सफलता की बढ़ती है संभावना-
जब आपके पास एक लक्ष्य होता है तो आप अपने काम में अधिक केंद्रित रहते हैं और अपनी प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं। इससे आपको सफलता प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है।
लक्ष्य निर्धारण के लाभ-
लक्ष्य निर्धारण से आप अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं अपने समय का प्रबंधन कर सकते हैं और अपने कार्यों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
लक्ष्य निर्धारित करते समय अपने लक्ष्य को विशिष्ट, मापने योग्य, प्राप्त करने योग्य और प्रासंगिक बनाएं साथ ही एक समय सीमा निर्धारित करें ताकि आप अपनी प्रगति को ट्रैक कर सकें। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करना, सकारात्मक रहना और असफल होने पर भी हार न मानना बहुत जरूरी है। कुल मिलाकर लक्ष्य निर्धारण किसी भी कार्य को शुरू करने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है। यह आपको दिशा, प्रेरणा और सफलता की ओर ले जाता है। आपको बताते हैं एक बार एक राहगीर ने एक संत से पूछा कि महाराज यह रास्ता कहां जाता है ? संत ने जवाब दिया कि ये रास्ता कहीं नहीं जाता है। आप बताइए कि आपको कहां जाना है ? व्यक्ति ने कहा कि महाराज मुझे मालूम ही नहीं है कि जाना कहां है। संत ने कहा कि जब कोई लक्ष्य ही नहीं है तो फिर रास्ता कोई भी हो उससे क्या फर्क पड़ता है, आप भटकते रहिए। जिस व्यक्ति के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता वह अपनी जिंदगी तो जीता है लेकिन वह इसी राहगीर की तरह यहां-वहां भटकता रहता है। दूसरी ओर जीवन में लक्ष्य होने से मनुष्य को मालूम होता है कि उसे किस दिशा की ओर जाना है।
वास्तव में असली जीवन उसी का है जो परिस्थितियों को बदलने का साहस रखता है और अपना लक्ष्य निर्धारित करके अपनी राह खुद बनाता है। हमारा लक्ष्य कुछ भी हो सकता है क्योंकि हर इंसान अपनी क्षमताओं के अनुसार ही लक्ष्य तय करता है। विद्यार्थी के लिए परीक्षा में प्रथम आना तो नौकरी-पेशे वालों के लिए पदोन्नाति पाना जबकि किसी गृहणी के लिए आत्मनिर्भर बनना उसका लक्ष्य हो सकता है हालांकि हर मनुष्य को बड़ा लक्ष्य तय करना चाहिए लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए। जब हम छोटे-छोटे लक्ष्य रखते हैं और उन्हें हासिल करते हैं तो हममें बड़े लक्ष्यों को हासिल करने का आत्मविश्वास आ जाता है। स्वामी विवेकानंद का कहना था कि जीवन में एक ही लक्ष्य बनाओ और दिन-रात उसी लक्ष्य के बारे में सोचो। स्वप्न में भी तुम्हें वही लक्ष्य दिखाई देना चाहिए। फिर जुट जाओ, उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए। धुन सवार हो जानी चाहिए आपको। सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी। हमें लक्ष्य की प्राप्ति तक स्वयं पर विश्वास और आस्था रखनी चाहिए और अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखना चाहिए।
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