सरकारी अधिकारी से बदसलूकी और गाली-गलौज के मामले में आरोपी निसार सिद्दीकी दोषी करार, लगा जुर्माना
भोगनीपुर पुलिस स्टेशन में 2015 में दर्ज एक मामले में, आरोपी निसार सिद्दीकी वारसी को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। यह मामला तत्कालीन अधिशासी अधिकारी (EO) के.एन. रावत से बदसलूकी करने, सरकारी काम में बाधा डालने और जान से मारने की धमकी देने से जुड़ा था।

कानपुर देहात: भोगनीपुर पुलिस स्टेशन में 2015 में दर्ज एक मामले में, आरोपी निसार सिद्दीकी वारसी को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। यह मामला तत्कालीन अधिशासी अधिकारी (EO) के.एन. रावत से बदसलूकी करने, सरकारी काम में बाधा डालने और जान से मारने की धमकी देने से जुड़ा था।
मामले के अनुसार, 2 जून 2015 को नगर पालिका परिषद पुखरायां के EO के.एन. रावत ने एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया था कि वार्ड नंबर 23, पटेल नगर, पुखरायां का निवासी निसार सिद्दीकी उनके कार्यालय में घुस आया और गुंडई से उनकी मेज पर एक पत्र पटक दिया। इसके बाद उसने मेज को उठाकर पटक दिया, जिससे सरकारी काम में बाधा उत्पन्न हुई और मेज पर रखे सरकारी दस्तावेज ज़मीन पर बिखर गए।
आरोप है कि निसार ने इस दौरान जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया, गाली-गलौज की और कार्यालय से बाहर आने पर जान से मारने की धमकी भी दी। इस घटना के बाद, निसार के खिलाफ आईपीसी की धारा 353, 504, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)x के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जांच के बाद, पुलिस ने 28 जून 2015 को आरोप पत्र संख्या 08/2015 के जरिए मामले को न्यायालय में पेश किया था।
न्यायालय ने सबूतों के आधार पर निसार सिद्दीकी को दोषी पाया और उसे सजा सुनाई।
न्यायालय का फैसला
- धारा 353 IPC: आरोपी को ₹10,000 का जुर्माना और न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई गई। जुर्माना न भरने पर 3 महीने के अतिरिक्त कारावास का प्रावधान है।
- धारा 504 IPC: आरोपी पर ₹1,000 का जुर्माना लगाया गया और न्यायालय उठने तक की सजा दी गई। जुर्माना न भरने पर 1 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
- धारा 506 IPC और SC/ST एक्ट की धारा 3(1)x: इन धाराओं के तहत आरोपी को दोषमुक्त कर दिया गया है।
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