सरकारी स्कूलों में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर मचा है घमासान, कुछ अराजक तत्व शिक्षकों को कर रहे हैं बदनाम
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 8 जुलाई 2024 से छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों के डिजिटल अटेंडेंस की प्रक्रिया शुरू की गई है जिसका शिक्षक विरोध कर रहे हैं हालांकि अगर देखा जाए तो यह विरोध ऑनलाइन हाजिरी का नहीं है बल्कि ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम को व्यावहारिक बनाने की मांग की जा रही है।
राजेश कटियार, कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 8 जुलाई 2024 से छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों के डिजिटल अटेंडेंस की प्रक्रिया शुरू की गई है जिसका शिक्षक विरोध कर रहे हैं हालांकि अगर देखा जाए तो यह विरोध ऑनलाइन हाजिरी का नहीं है बल्कि ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम को व्यावहारिक बनाने की मांग की जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें 31 ईएल, 15 हॉफ डे लीव, 200 मिनट गेटपास प्रति माह, अंतर्जनपदीय ट्रांसफर कर घर से 10-15 किमी दूर विद्यालय कर दें या फिर विद्यालय में रहने के लिए आवास बनवा दे। विस्तृत नियमावली डिजिटल हाजिरी की व्यवहारिक समस्याओं के लिए जारी करें। कैशलेस चिकित्सा (बिना प्रीमियम), नियम के अनुसार 12 वर्ष में प्रोन्नति दें, 50 लाख जीआईएस दे दीजिए,
पुरानी पेंशन बहाल कर दीजिए, राज्य कर्मचारी की तरह सेवा लाभ दे दिजिए, शिक्षामित्र, अनुदेशक, रसोइया को जीवन निर्वाह हेतु सम्मान जनक मानदेय दीजिए, हमें ऑनलाइन उपस्थिति से कोई परहेज नहीं है।
एक शिक्षक का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शिक्षकों को बदनाम करने के प्रायोजित एजेंडे मे जो महानुभाव शामिल हैं वे प्रोपोगंडा से बाहर आकर धरातलीय सच्चाई से स्वयं रूबरू हो और समाज को रूबरू करायें। शिक्षक रियल टाइम ऑनलाइन उपस्थित का विरोध नहीं कर रहा है क्योंकि शिक्षक प्रतिदिन रियल टाइम विद्यालय जा रहा है, शिक्षक का विरोध निम्न भेदभावपूर्ण, उपेक्षापूर्ण कार्यशैली व भौगोलिक, प्राकृतिक व परिस्थितिजन्य कारणों से है। ब्लाॅक मुख्यालय, तहसील मुख्यालय व जनपद मुख्यालय के कार्यालयों मे आनलाइन उपस्थिति क्यों नहीं है जबकि वहां पर सम्पूर्ण भौतिक संसाधन उपलब्ध हैं और अधिकारियों को मुख्यालय मे रुकने का शासनादेश भी है।
परिषदीय शिक्षकों के अतिरिक्त राजकीय शिक्षक, नवोदय विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय, समाज कल्याण विद्यालय, डायट सहित हर जगह के शिक्षकों को 31 दिन का ईएल, अर्ध आकस्मिक अवकाश, कैशलेस चिकित्सा, दुर्घटना बीमा, समय से पदोन्नति आदि समस्त लाभ देय है और यह सभी विद्यालय कस्बे या नगर मे स्थित हैं जबकि परिषदीय विद्यालय दूरस्थ और बीहड तथा संसाधन विहीन स्थान पर हैं फिर भी बिना संसाधन, बिना कैशलेस चिकित्सा, बिना ईएल, बिना हाफ सीएल, बिना दुर्घटना बीमा के और बिना संसाधन उपलब्ध कराये केवल परिषदीय शिक्षकों के लिए ऑनलाइन व्यवस्था उनको बदनाम करने का कुचक्र है। लगभग सभी राज्य कर्मचारी ब्लाॅक मुख्यालय, तहसील मुख्यालय और जनपद मुख्यालय मे हैं उनको ईएल, हाफ सीएल, कैशलेस चिकित्सा, दुर्घटना बीमा सब उपलब्ध है फिर भी वहां आनलाइन उपस्थित क्यों नहीं है।
ऑनलाइन उपस्थित के पहले सरकार और विभाग यह बताये कि बच्चे रियल टाइम कैसे आयें इसके लिए सरकार क्या करेगी, केवल शिक्षकों को बलि का बकरा बनाया जायेगा कि अभिभावकों और विभागीय अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी। सरकार और विभाग यह भी बताये कि एमडीएम के लिए ताजी सब्जी, ताजा दूध और ताजे फलों की व्यवस्था कैसे होगी। यदि एक दिन पहले खरीद लिया तो वह ताजा कैसे रहेगा और एक दिन पहले का लिया दूध खराब हो जायेगा तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
अगर ये कार्य प्रधान का है तो किसी अव्यवस्था पर शिक्षक पर कार्यवाही क्यों होती है। क्या विभाग बतायेगा कि बरसात के समय जनपद मे कई नदियां रास्ता जाम कर देती हैं यमुना जी के बाढ क्षेत्र हफ्तों लगातार डूबे रहते हैं ऐसे मे शिक्षक विद्यालय रियल टाइम उपस्थित कैसे देंगे।
क्या विभाग बतायेगा कि रेलवे फाटक बंद होने के कारण जब शिक्षक बिलम्ब से विद्यालय पहुंचता है तो उसके लिए किसकी जिम्मेदारी तय की जायेगी। रेलवे फाटक बंद और खुलने का रियल टाइम निर्धारण सरकार या विभाग किसके बस में है यह बताएं।
सरकार और विभाग की भेदभावपूर्ण, उपेक्षापूर्ण व्यवहार और धरातल की स्थिति को नजरअंदाज करके समाज के विलेन के रूप मे शिक्षक को प्रस्तुत किया जा रहा है इसलिए शिक्षक इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। आप अपनी व्यवस्था दुरुस्त कीजिए हम आपके आदेश को स्वीकार कर लेंगे।